द लेंस डेस्क। ईद-उल-फितर के मौके पर मेरठ की शाही ईदगाह में नमाज के दौरान भारी भीड़ के कारण तनाव की स्थिति पैदा हो गई। जगह फुल होने पर पुलिस ने नमाजियों को अंदर जाने से रोक दिया, जिसके बाद नमाजियों और पुलिस के बीच नोकझोंक और हल्की झड़प हुई। वहीं, मेरठ के सिवालखास कस्बे में कब्रिस्तान में दुआ के दौरान दो पक्षों में खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें फायरिंग और पथराव से आधा दर्जन लोग घायल हो गए। मुरादाबाद में भी ईदगाह में भीड़ के कारण हंगामा हुआ। हालांकि, प्रशासन की सख्ती और सूझबूझ से स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया, और मेरठ में ईद का त्योहार शांति के साथ संपन्न हुआ।
सोमवार सुबह मेरठ की शाही ईदगाह में ईद की नमाज के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे। मैदान पूरी तरह भर जाने के बाद पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर नमाजियों को अंदर जाने से रोक दिया। साथ ही, माइक से घोषणा की गई कि सड़क पर नमाज न पढ़ी जाए। कुछ नमाजी सड़क पर नमाज पढ़ने की जिद पर अड़े, जिसके बाद पुलिस ने सड़क पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से पानी का छिड़काव किया। इससे कुछ देर के लिए तनाव की स्थिति बन गई।
रेलवे रोड चौराहे से लेकर शाही ईदगाह तक भारी पुलिस बल तैनात था। इस दौरान नमाजियों और पुलिस के बीच कई बार बहस और हल्की झड़प की स्थिति बनी। मेरठ के डीएम और एसएसपी ने मौके पर पहुंचकर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और स्थिति को संभाल लिया।
मेरठ के थाना जानी क्षेत्र के सिवालखास कस्बे में कब्रिस्तान में दुआ के दौरान एक ही समुदाय के दो पक्षों में मामूली कहासुनी के बाद बवाल हो गया। दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और ताबड़तोड़ फायरिंग के साथ पथराव शुरू कर दिया। इस घटना में आधा दर्जन लोग घायल हो गए। सूचना मिलते ही थाना पुलिस मौके पर पहुंची और लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ा। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया, लेकिन इलाके में तनाव बना हुआ है।
मुरादाबाद के गलशहीद क्षेत्र में स्थित ईदगाह में भी सुबह नमाज के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। ईदगाह नमाजियों से भर जाने के बाद भगदड़ की स्थिति से बचने के लिए पुलिस ने लोगों को बाहर रोकना शुरू कर दिया। इससे नाराज नमाजियों ने विरोध किया और पुलिस से उनकी भिड़ंत हो गई। हालांकि, पुलिस ने स्थिति को संभाल लिया और नमाज शांति के साथ संपन्न हुई।
ईदगाह पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि शाही ईदगाह का मैदान नमाजियों से भर चुका था, इसलिए बैरिकेडिंग लगाकर लोगों को रोका गया। साथ ही, उन्हें फैज़-ए-आम इंटर कॉलेज के मैदान में नमाज अदा करने को कहा गया। कुछ लोग जिद पर अड़े थे, लेकिन उन्हें समझा-बुझाकर शांत किया गया। सड़क पर फायर टैंकर से पानी छिड़कने के सवाल पर अधिकारियों ने कहा, “सड़क पर धूल उड़ रही थी। नमाजियों की सुविधा और साफ-सफाई के लिए पानी का छिड़काव किया गया था।”
अधिकारियों ने यह भी बताया कि मेरठ में सभी जगहों पर नमाज शांति के साथ अदा की गई। प्रशासन की सख्ती और लोगों के सहयोग से ईद का त्योहार शांतिपूर्ण रहा।
मेरठ में ईद के मौके पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। पुलिस प्रशासन ने शहर को चार सुपर जोन, नौ जोन, 34 सेक्टर और 64 सब-सेक्टर में बांटा था। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तीन कंपनी पीएसी (प्रोविंशियल आर्म्ड कांस्टेबुलरी) और दो कंपनी आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) तैनात की गई थीं। चार एसपी, नौ सीओ, 34 इंस्पेक्टर, 800 दरोगा, 1100 हेड कांस्टेबल, और 100 महिला कांस्टेबल ड्यूटी पर तैनात थे। 16 ड्रोन कैमरों से पूरे क्षेत्र की निगरानी की गई। इन इंतजामों के चलते मेरठ में किसी भी बड़े हंगामे को टाला जा सका।
यह पहली बार नहीं है जब मेरठ में ईद की नमाज को लेकर विवाद हुआ हो। पिछले साल भी शाही ईदगाह में नमाज के दौरान सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर तनाव की स्थिति बनी थी। उस समय मेरठ पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए 80 से ज्यादा लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इस साल पुलिस ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने तक की सजा शामिल हो सकती है।
मेरठ में शाही ईदगाह, सिवालखास, और मुरादाबाद में हुए हंगामे के बावजूद प्रशासन की सख्ती और सूझबूझ से स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की तत्परता के चलते मेरठ में ईद का त्योहार शांति के साथ संपन्न हुआ। हालांकि, इन घटनाओं ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि क्या भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए बेहतर योजना और प्रबंधन की जरूरत है?