नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को अगले छह महीने तक बढ़ाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।
इससे पहले सितंबर 2024 में मणिपुर के 6 जिलों में छह महीने के लिए यह कानून लागू किया गया था, जो 31 मार्च को समाप्त हो गया है। मणिपुर में अफस्पा कानून अब भी प्रभावी रहेगा, हालांकि 13 पुलिस थानों के तहत आने वाले कुछ क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है।
इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां मिलती हैं, जिससे वे अशांत घोषित क्षेत्रों में बिना पूर्व अनुमति के तलाशी, गिरफ्तारी और बल प्रयोग कर सकते हैं।
नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में विस्तार
नागालैंड में अफस्पा को आठ जिलों और पांच अन्य जिलों के 21 पुलिस स्टेशनों में लागू किया गया है। इसी तरह, अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के अलावा नामसाई जिले के कुछ क्षेत्रों में भी इसे जारी रखा गया है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू
13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। यह फैसला राज्यपाल की रिपोर्ट और वहां की गंभीर कानून-व्यवस्था की स्थिति के आधार पर लिया गया। पिछले साल 3 मई को राज्य में हिंसा भड़क उठी थी, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन (ATSU) ने एक रैली निकाली थी। इस रैली में मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का विरोध किया गया था।
जानिए क्या है अफस्पा
अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट एक विशेष कानून है, जो सशस्त्र बलों (सेना, अर्धसैनिक बल आदि) को कुछ खास क्षेत्रों में विशेष अधिकार देता है। इस कानून को 11 सितंबर 1958 को संसद से मंजूरी मिली थी। यह कानून उन इलाकों में लागू किया जाता है जहां सरकार को लगता है कि शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सामान्य कानून काफी नहीं हैं, जैसे कि आतंकवाद, उग्रवाद या विद्रोह की स्थिति में। 2021 में नगालैंड के मोन जिले में सेना ने 14 नागरिकों को गलती से मार दिया था। इसके बाद अफस्पा हटाने की मांग तेज हुई थी।