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अर्थ

मोबाइल स्क्रीन पर 5 घंटे खर्च कर रहे भारतीय, मोटा मुनाफा ई-कामर्स कंपनियों को

Amandeep Singh
Amandeep Singh
Published: March 29, 2025 2:44 PM
Last updated: March 29, 2025 2:44 PM
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पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान मोबाइल की ओर बढ़ा है। हमारी नजर जहां तक जाती है, लोग मोबाइल से घिरे नजर आते हैं, या यूं कहें लोग अपने स्मार्टफोन में बिजी रहते हैं। इधर भारत में इंटरनेट की तेज़ी से बढ़ती पैंठ और सस्ते डेटा के चलते, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर समय बिताने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। यही बड़ी वजह है कि स्मार्टफोन उपयोगकर्ता सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और ऑनलाइन बिजनेस को जबरदस्त फायदा पहुंचा रहे हैं।

भारतीयों के स्मार्टफोन स्क्रीन पर 1.1 लाख करोड़ घंटे

नए जारी किए आंकड़ों के आधार पर, भारतीयों ने 2024 में कुल 1.1 लाख करोड़ घंटे अपने स्मार्टफोन स्क्रीन पर बिताए हैं. EY की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में सस्ता इंटरनेट उपलब्ध होने के कारण इंस्टाग्राम से लेकर नेटफ्लिक्स तक, हर प्लेटफॉर्म तक लोगों की पहुंच लगातार बढ़ी है।

रिपोर्ट बताती है कि औसतन हर भारतीय रोजाना 5 घंटे मोबाइल स्क्रीन पर बिताता है, जिसमें 70 प्रतिशत समय सोशल मीडिया, गेमिंग और वीडियो देखने में जाता है। इसके चलते डिजिटल मीडिया भारत के 2.5 लाख करोड़ रुपये के मनोरंजन उद्योग का सबसे बड़ा सेगमेंट बन गया है, जिसने पहली बार टेलीविजन को भी पीछे छोड़ दिया है।


बढ़ता जा रहा सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग का प्रभाव

सोशल मीडिया अब केवल स्क्रॉलिंग तक ही नहीं रहा, बल्कि यह एक नया शॉपिंग मॉल बन चुका है। कंपनियां अब पारंपरिक विज्ञापन के बजाय डिजिटल मार्केटिंग पर ज़्यादा ध्यान दे रही हैं। बिग बैंग सोशल के सीईओ सुदीप सुभाष का कहना है, “चूंकि लोग ज्यादा समय सोशल मीडिया, वीडियो और गेमिंग में बिता रहे हैं, ब्रांड्स अब बिलबोर्ड और टीवी ऐड्स की बजाय डिजिटल कैंपेन पर निवेश कर रहे हैं, जिससे ग्राहक सीधे आकर्षित हो सकें।

सस्ते इंटरनेट ने भी की भरपूर मदद

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल डेटा उपभोक्ता बन चुका है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक , सितंबर 2024 तक भारत में प्रति उपयोगकर्ता औसतन 21.2GB डेटा का मासिक उपभोग हो रहा था। वहीं, 5G उपयोगकर्ताओं के लिए यह आंकड़ा 40GB तक पहुंच चुका है। टेलीकॉम कंपनियों का अनुमान है कि अगले तीन वर्षों में भारत में 5G उपभोक्ताओं की संख्या 77 करोड़ तक पहुंच सकती है।


क्रिएटर इकॉनमी और राजनीतिक प्रभाव

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाखों भारतीय कंटेंट क्रिएटर छोटे वीडियो और व्लॉग्स बनाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। भारत सरकार ने इस उभरते सेक्टर को समर्थन देने के लिए $1 बिलियन (करीब 8,000 करोड़ रुपये) का फंड भी लॉन्च किया है।

वहीं, ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार स्मार्टफोन स्क्रीन पर विज्ञापन बाढ़ की तरह चला रही हैं, जिससे उपभोक्ता अनजाने में ही शॉपिंग करने लगते है। इसके अलावा, राजनीतिक दल भी सोशल मीडिया पर बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, जिससे डिजिटल माध्यमों का प्रभाव चुनावों में भी देखा जा रहा है।

वैश्विक स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग हब बना भारत

मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत स्मार्टफोन उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हुई है। भारत ने 2014-15 में अपनी जरूरत का सिर्फ 25 प्रतिशत मोबाइल फोन घरेलू स्तर पर बनाया था, जबकि 2024 तक यह आंकड़ा 97 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।


Apple, Vivo और Xiaomi जैसी कंपनियां अब भारत में न केवल स्थानीय जरूरतों के लिए उत्पादन कर रही हैं, बल्कि निर्यात के लिए भी फैक्ट्रियां लगा रही हैं।

क्या लाइफ को बदल रहा स्मार्टफोन ?

जैसे-जैसे स्मार्टफोन और इंटरनेट का उपयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या हम डिजिटल स्क्रीन पर ज़रूरत से ज़्यादा समय बिता रहे हैं। AI और मशीन लर्निंग की मदद से अब कंपनियां हमारी ऑनलाइन आदतों को ट्रैक कर रही हैं और हमारे लिए रिलेटेड ऐड्स दिखा रही हैं। कंपनियां सिर्फ उत्पाद नहीं बेच रही हैं, बल्कि शॉर्ट वीडियो, लाइव स्ट्रीम और इंटरैक्टिव विज्ञापनों के जरिए लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

भारत में डिजिटल क्रांति अपने चरम पर है. सस्ता इंटरनेट, 5G तकनीक, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव ने देश को दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल बाज़ार बना दिया है। स्मार्टफोन हमारी ज़िन्दगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका हैं।

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