[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
ईद मिलादुन्नबी के जुलूस में तेज आवाज साउंड बॉक्स पर कार्रवाई, झांकी से पहले डीजे संचालकों को अल्टीमेटम
टाटा की गाड़ियों के दाम में 65 हजार से 1.55 लाख तक की भारी कटौती का फैसला
राजभवन में शिक्षकों का ये कैसा सम्मान?
रायपुर: गणपति की AI छवि वाली मूर्ति को लेकर बवाल, पंडाल पर पर्दा, दर्शन बंद
संघ के वरिष्ठ प्रचारक शांताराम सर्राफ का निधन
श्रीनगर: भीड़ ने तोड़ा अशोक स्तंभ, हजरतबल दरगाह में बवाल
डोनाल्ड ट्रंप बोले – हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया
‘…मैं डिप्टी सीएम बोल रहा हूं, कार्रवाई रोको’, अजित पवार की IPS अंजना को चेतावनी, देखिए वीडियो
नेपाल में फेसबुक, व्हाट्सएप और एक्स समेत दर्जन भर सोशल मीडिया प्लेटफार्म बैन
फार्मा सेक्टर टैरिफ मुक्त होने के बावजूद अमेरिका के बाहर बाजार तलाश रहा भारत
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
दुनिया

आंसुओं से उम्मीद तक, भूकंप ने छीना सबकुछ, फिर भी जिंदा है हौसला

पूनम ऋतु सेन
Last updated: April 18, 2025 9:19 am
पूनम ऋतु सेन
Byपूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की...
Follow:
Share
SHARE

द लेंस डेस्क। 28 मार्च 2025 की सुबह म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने न सिर्फ इमारतों को ढहाया, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी को भी हिला कर रख दिया। इसके झटके थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक महसूस किए गए, जहां ऊंची इमारतें ताश के पत्तों की तरह बिखर गईं।

इस प्राकृतिक आपदा ने जानमाल का भारी नुकसान किया, लेकिन इसके पीछे छिपी हैं अनगिनत मानवीय पीड़ायें, कहानियां और उनमें छिपा डर, हिम्मत, और उम्मीद। दुनिया भर के मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया में दर्द की दास्तां दिखाती हुई वीडियोज और पोस्ट सामने आये हैं।

मांडले के नजदीक एक छोटे से गांव में रहने वाली 38 वर्षीय नाय म्यिंट उस सुबह अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में लगी हुई थीं, जब अचानक धरती कांपने लगी।

वह कहती हैं, “मैं रसोई में काम कर रही थी, और मेरा 10 साल का बेटा बगल के कमरे में खेल रहा था। तभी सब कुछ हिलने लगा। मैंने उसे आवाज दी, लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ कर पाती, छत का एक हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा,” नाय म्यिंट आंसुओं के बीच बताती हैं।

उनका बेटा अभी भी मलबे के नीचे फंसा है, और गांव के लोग व राहत टीमें उसे बाहर निकालने के लिए दिन-रात जुटी हुई हैं। “वह मेरा इकलौता सहारा है। मैं बस भगवान से प्रार्थना कर रही हूं कि वह सुरक्षित मिल जाए,” उनकी नजरों में डर और उम्मीद की किरण एक साथ नजर आती है।

मांडले में ऐतिहासिक मांडले पैलेस के कुछ हिस्से भी इस भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गए। स्थानीय निवासी इसे सिर्फ एक इमारत का नुकसान नहीं मानते, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान पर चोट के रूप में देखते हैं।

50 साल के को जी, जो पास में एक दुकान चलाते हैं, कहते हैं, “ये पैलेस हमारी यादों का हिस्सा था। अब इसे टूटा हुआ देखकर लगता है, जैसे हमारा इतिहास ही मिट गया।”

बैंकॉक के चटुचक मार्केट के पास एक 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत के ढहने से 40 से ज्यादा मजदूरों के मलबे में फंसे होने की आशंका है।

29 साल के संजय पासवान, जो बिहार से आए थे और पिछले एक साल से इस साइट पर काम कर रहे थे, बताते हैं, “हम कंक्रीट डाल रहे थे, तभी फर्श हिलने लगा। मैं भागा और किसी तरह बाहर निकल आया, लेकिन मेरा दोस्त रमेश अंदर ही रह गया। उसकी पत्नी को क्या जवाब दूंगा?”

संजय की आवाज में गुस्सा और दुख साफ सुनाई देता है। राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन हर गुजरते पल के साथ उम्मीदें कम होती जा रही हैं।

थाईलैंड के चियांग माई में वाट चेदी लुआंग मंदिर, जो 14वीं सदी से वहां की आस्था और संस्कृति का प्रतीक रहा है, इस भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया। मंदिर की दीवारों में दरारें पड़ गईं, और कुछ हिस्से जमीन पर बिखर गए।

62 साल की माए सोम, जो मंदिर के पास फूल बेचती हैं, कहती हैं, “ये मंदिर मेरे लिए दूसरा घर था। हर सुबह यहाँ आकर फूल चढ़ाती थी। अब ये टूट गया तो लगता है, जैसे मेरी आस्था भी हिल गई।” माए की आंखों में आंसू हैं, लेकिन वह आगे कहती हैं, “फिर भी, हमें इसे दोबारा बनाना होगा। जिंदगी रुकती नहीं।”

उत्तराखंड के देहरादून से परिवार के साथ थाईलैंड घूमने आए अभिषेक शर्मा उस वक्त अपने होटल के कमरे में थे, जब भूकंप आया।

अभिषेक बताते हैं- “कमरे में सामान हिलने लगा। मेरी पत्नी और बच्चे चीख रहे थे। हम सीढ़ियों से नीचे भागे। बाहर निकले तो देखा कि सड़क पर अफरा-तफरी मची थी” । उनकी शाम की फ्लाइट थी, लेकिन अब सब रद्द हो गया। “पिछले 12 घंटे से हम कमरे में ही हैं। बाहर जाने की हिम्मत नहीं हो रही। ऐसा भूकंप मैंने जिंदगी में कभी नहीं देखा,”

एक पत्रकार पत्रलेखा चटर्जी जो बैंकॉक में रहतीं हैं उन्होंने फेसबुक पोस्ट में बताया की भूकंप का दहशत इतना ज्यादा था कि 700 लोग भूकंप वाली रात बिल्डिंग के सामने एक पार्क में बिताये, यहां लोग घबरा भी रहे थे दूसरी ओर एक दूसरे को ढांढस भी दे रहे थे।

भूकंप के बाद म्यांमार और थाईलैंड में राहत कार्य तेजी से शुरू हो गए हैं। भारत ने “ऑपरेशन ब्रह्मा” के तहत राहत सामग्री और बचाव दल भेजे हैं। स्थानीय लोग भी एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आए हैं। बैंकॉक में एक नर्स, सुनीता चौधरी, जो लटसन हॉस्पिटल में काम करती हैं, बताती हैं, “हमने मरीजों को बाहर निकाला। सड़क पर स्ट्रेचर लगाए गए। हर कोई डरा हुआ था, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी।”

अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, इस भूकंप से म्यांमार में 1,000 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका है, जबकि थाईलैंड में अब तक 10 मौतें दर्ज की गई हैं। म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में एक पुल पूरी तरह ढह गया, और बैंकॉक में कई इमारतों को नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि सागाइंग फॉल्ट इस भूकंप की वजह थी, जो म्यांमार में 1,200 किमी तक फैली है।

भूकंप ने न सिर्फ इमारतों को तोड़ा, बल्कि लोगों के सपनों और उम्मीदों को भी चकनाचूर कर दिया। फिर भी, इन कहानियों में एक बात साफ है, इंसान की जिजीविषा। मलबे के ढेर के बीच से भी जिंदगी की नई किरणें निकल रही हैं। म्यांमार और थाईलैंड के लोग इस आपदा से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, और दुनिया भर से मिल रही मदद उनकी हिम्मत बढ़ा रही है।

TAGGED:AFTERSHOCK EFFECTEARTHQUACKEARTHQUACK EFFECTSMYANMARThailand
Byपूनम ऋतु सेन
Follow:
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
Previous Article मोबाइल स्क्रीन पर 5 घंटे खर्च कर रहे भारतीय, मोटा मुनाफा ई-कामर्स कंपनियों को
Next Article सुकमा मुठभेड़ में 17 नक्सली ढेर, 4 जवान हुए घायल, सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी    

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

दिन के उजाले में इजरायल और ईरान की बमबारी, ट्रम्प का दावा – युद्ध आसानी से समाप्त कर सकते हैं

इजरायल और ईरान ने रविवार रात को एक-दूसरे पर ताजा हमले किए, जिसमें कई लोग…

By The Lens Desk

Universities under pressure

The times university reputation report is expectedly unflattering for Indian universities. Compared to the last…

By The Lens Desk

ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है- IAF, राजनाथ बोले- भारत की सेनाओं की धमक रावलपिंडी तक सुनाई दी

दिल्ली। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ चलाया जा रहा ऑपरेशन सिंदूर (operation sindoor is…

By Lens News Network

You Might Also Like

दुनिया

जर्मनी के मैनहेम में काले रंग की कार बनी काल, भीड़ को रौंदा, दो की मौत

By The Lens Desk
Israel-Gaza War
दुनिया

Israel-Gaza War : गजा में भूखमरी, कई मौतें, 1 लीटर दूध की कीमत 100 डॉलर

By पूनम ऋतु सेन
russia ukraine war
दुनिया

तस्करी के ड्रोन्‍स से यूक्रेन ने मार गिराए 40 रशियन जेट

By अरुण पांडेय
Diplomatic Fight
दुनिया

भारत-पाक में जंग का साया, UNSC की बैठक बेनतीजा, अब क्या होगा?

By Lens News Network
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?