नई दिल्ली। हम सभी एक- दूसरे से डिजिटली क्नेक्ट हैं। आमतौर पर लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सोचिए क्या हो अगर सरकार आपकी प्राइवेट चैट्स पढ़े, या आपके मोबाइल और कंप्यूटर का सारा एक्सेस सरकार के पास हो। जीहां सही पढ़ा आपने, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आयकर विभाग को टैक्स चोरी के मामलों की जांच के लिए एक नई कानूनी ताकत मिलने जा रही है। नए प्रावधानों के तहत अब आयकर अधिकारी संदिग्ध लोगों के ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट्स, बैंक खातों, ऑनलाइन निवेश और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स तक डायरेक्ट एक्सेस पा सकेंगे। यह अधिकार उन्हें इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 132 के तहत मिलेगा, जो तलाशी और जब्ती की अनुमति देता है।
ये बातें इसलिए सामने आ रही हैं क्योंकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इसकी सिफारिश की है। वित्तमंत्री ने 25 मार्च 2025 को संसद में ये बात कही। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी लेनदेन के सबूत मिलने के बावजूद इसकी जांच के लिए कोई कानून नहीं है। इसलिए हमने सोचा कि इनकम टैक्स कानून में डिजिटल शब्द जोड़ना होगा। साथ वित्तमंत्री ने ये भी कहा कि डिजिटल एक्सेस से 250 करोड़ की अवैध संपत्ति भी पकड़ी गई है।
दायरे में आएंगी डिजिटल संपत्ति
सरकार ने इन नियमों के जरिए डिजिटल माध्यमों से हो रही टैक्स चोरी पर सख्ती करने की तैयारी कर ली है। नए आयकर विधेयक के तहत टैक्स अधिकारियों को करदाताओं की डिजिटल गतिविधियों की जांच और डेटा जब्त करने की अनुमति दी गई है। यानी अब किसी भी व्यक्ति की गुप्त संपत्ति, अघोषित आय, सोना-चांदी या अन्य कीमती वस्तुएं डिजिटल माध्यम से ट्रैक की जा सकेंगी।
नए नियम से क्या बदलेगा
इनकम टैक्स अधिकारी संदिग्ध व्यक्ति के ईमेल, सोशल मीडिया, ऑनलाइन निवेश, क्रिप्टो अकाउंट्स, और अन्य डिजिटल फाइनेंसिंग प्लेटफार्म की जांच कर सकेंगे। अधिकारी कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, हार्ड ड्राइव और डिजिटल अकाउंट्स की तलाशी और जब्ती कर सकेंगे। जांच में सहयोग न करने पर अधिकारी पासवर्ड बायपास कर सकेंगे, सिक्योरिटी सेटिंग्स ओवरराइड कर सकेंगे और फाइल्स व डेटा अनलॉक कर सकेंगे।
अभी के कानून में क्या होता है?
अभी के नियमों के तहत अधिकारी छापेमारी के दौरान दस्तावेज, बैंक खाते, लैपटॉप या हार्ड ड्राइव जब्त कर सकते हैं, लेकिन डिजिटल डेटा तक सीधी पहुंच में कानूनी अड़चनें होती हैं। नया कानून इस कमी को दूर करेगा। इसके तहत अधिकारी डिजिटल एक्सेस भी अपने पास रख सकेंगे।
नया बिल क्या कहता है?
नया इनकम टैक्स बिल, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा, के सेक्शन 247 के तहत यह तय किया गया है कि अधिकारी सिर्फ टैक्स चोरी के मामलों में ही डिजिटल डेटा की जांच कर सकेंगे। यह प्रावधान हर करदाता पर लागू नहीं होगा, सिर्फ उन्हीं मामलों में जहां अघोषित आय या संपत्ति की पुख्ता जानकारी हो।
सरकार ने क्या सफाई दी?
25 मार्च 2025 को राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ किया कि आयकर अधिकारियों को करदाताओं की निजी जानकारी जैसे ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट्स या बैंक खातों तक बिना प्रक्रिया के पहुंचने की छूट नहीं है। अधिकारी तभी डेटा तक पहुंच बना सकते हैं जब वे तय कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं ?
मनीफ्रंट के को-फाउंडर और सीईओ मोहित गांग ने मीडिया को बताया कि टैक्स चोरी रोकने के लिए टैक्स अधिकारियों को सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए। खर्चों और जीवनशैली की निगरानी करना गलत नहीं है, क्योंकि इससे टैक्स चोरी पकड़ में आ सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि ईमेल और सोशल मीडिया जैसे निजी प्लेटफॉर्म्स की निगरानी एक संवेदनशील विषय है और इसके लिए स्पष्ट नियमों और सीमाओं की जरूरत है। उनका मानना है कि इस तरह की निगरानी हर करदाता पर लागू न होकर केस-बाय-केस आधारित होनी चाहिए। साथ ही ऐसे किसी कदम को लागू करने से पहले विस्तृत बहस और आम सहमति जरूरी है।