नई दिल्ली। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से सुप्रीम राहत मिली है। दरअसल कथित विवादित रील के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद एफआईआर रद्द कर दी है। यह एफआईआर उनके इंस्टाग्राम पोस्ट ‘ऐ खून के प्यासे बात सुनो’ को लेकर दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इमरान की कविता में कोई विवादित बात नहीं है।
पहले जानिए क्या है मामला?
इमरान प्रतापगढ़ी की ओर से ‘एक्स’ पर एक 46 सेकंड की वीडियो क्लिप अपलोड की गई। इस वीडियो क्लिप में वह हाथ हिलाते हुए चल रहे थे, तो उन पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थीं और एक एक कविता ए खून के प्यासे बात सुनो चल रही थी। इसे लेकर एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि कविता के बोल भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं।
बोलने की आजादी का सम्मान होना चाहिए– सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि भले ही बड़ी संख्या में लोग किसी दूसरे के विचारों को पसंद न करते हों, लेकिन विचारों को व्यक्त करने के व्यक्ति के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए और उसकी रक्षा की जानी चाहिए। सेहतमंद समाज में बोलने की आजादी का सम्मान होना चाहिए।
वीडियो में कोई विवादित बात नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विचारों और दृष्टिकोणों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत गरिमापूर्ण जीवन जीना असंभव है। एक स्वस्थ लोकतंत्र में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का विरोध दूसरे दृष्टिकोण को व्यक्त करके किया जाना चाहिए। इमरान की कविता में कोई विवादित बात नहीं है। भले ही बहुत से लोग किसी दूसरे के विचारों को नापसंद करते हों, लेकिन विचारों को व्यक्त करने के व्यक्ति के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए। कविता, नाटक, फ़िल्म, व्यंग्य और कला सहित साहित्य मनुष्य के जीवन को और अधिक सार्थक बनाता है।
गुजरात हाइकोर्ट ने एफआईआर खारिज नहीं की
17 जनवरी को इसी कथित विवादित वीडियो के मामले में गुजरात हाइकोर्ट में सुनवाई हुई थी। हाइकोर्ट ने यह कहते हुए एफआईआर को खारिज कर दिया कि अभी जांच शुरुआती चरण में है। इसके बाद इमरान प्रतापगढ़ी ने गुजरात हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।