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थाईलैंड-म्यांमार में 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप, पुल- इमारतें गिरीं, अब तक 107 की मौत

Arun Pandey
Last updated: April 16, 2025 7:53 pm
Arun Pandey
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नई दिल्‍ली। म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया।म्यांमार में भूकंप की वजह से अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। वहीं, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत ढह गई, जिसमें 400 लोग काम कर रहे थे। हादसे में अब तक 107 की मौत की पुष्टि हुई है।

भूकंप का असर दिल्‍ली एनसीआर सहित देश के कई हिस्‍सों में देखा गया। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) और जर्मनी के GFZ जियोसाइंसेज सेंटर के अनुसारभूकंप दोपहर में  10 किलोमीटर (6.2 मील) की गहराई पर आया, जिसका केंद्र पड़ोसी देश म्यांमार में था।USGS के अनुसारभूकंप का केंद्र म्यांमार के मंडाले शहर से लगभग 17.2 किलोमीटर दूर था, जहां लगभग 12 लाख की आबादी रहती है। इस पहले झटके के 12 मिनट बाद 6.4 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया।

बैंकॉक में गगनचुंबी इमारत ढही

भूकंप के दौरान बैंकॉक में एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत गिर गई, जिसमें 43 मजदूर फंस गए। बैंकॉक पुलिस ने बताया कि यह हादसा शहर के प्रसिद्ध चातुचक मार्केट के पास हुआ।

बैंकॉक में ऊंची इमारतों में लगे अलार्म बज उठे, जिससे लोग डरकर बाहर निकल आए। कई अपार्टमेंट और होटलों से लोग सीढ़ियों के जरिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे। गगनचुंबी इमारतों की छत पर बने स्विमिंग पूलों से पानी नीचे गिरने लगा, और कई इमारतों से मलबा टूटकर सड़कों पर आ गिरा।

Breaking: Video shows a close-up view of a skyscraper under construction collapsing in Bangkok due to an earthquake. pic.twitter.com/3i77HwHViH

— PM Breaking News (@PMBreakingNews) March 28, 2025

प्रधानमंत्री ने बुलाई आपातकालीन बैठक

थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनावात्रा ने तत्काल एक आपातकालीन बैठक बुलाई है ताकि भूकंप से हुए नुकसान का आकलन किया जा सके।

म्यांमार में धार्मिक स्थलों को नुकसान

म्यांमार की राजधानी नेपीतॉ में कई धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा, जिनके कुछ हिस्से गिर गए। इसके अलावा, कुछ घरों को भी क्षति हुई है। हालांकि, म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के कारण वहां से अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है।थाईलैंड के आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि इस भूकंप के झटके देश के लगभग सभी हिस्सों में महसूस किए गए। बैंकॉक और आसपास के इलाकों में करीब 1.7 करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर बहुमंजिला इमारतों में रहते हैं।

भारत में भूकंप का कितना खतरा

भूकंप के लिहाज से भारत भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील है, जहां कई प्रमुख भूकंपीय प्लेटें मिलती हैं। भारतीय उपमहाद्वीप यूरेशियन प्लेट और इंडियन प्लेट की टक्कर का क्षेत्र है, जिससे यहां भूकंप की संभावना अधिक रहती है।

भूकंप जैसी आपदा को लेकर दिल्ली खतरनाक जोन में आती है। भूकंप वाले क्षेत्रों को 5 जोन में बांटा जाता है, जिसमें सबसे अधिक यानी जोन-5 वाला क्षेत्र सबसे ज्यादा जोखिम वाला होता है। यहां दिल्ली जोन-4 में आती है, जो काफी गंभीर है। दिल्ली में ऊंची इमारतें और घर-मकान हैं, खासकर यमुना और हिंडन नदियों के किनारे बनीं बहुमंजिला इमारतें हैं।

बड़े भूकंप की स्थिति में बड़े नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। अभी दिल्ली में सिर्फ 4 की तीव्रता का भूकंप आया है, जिसने इमारतों को हिला दिया। अंदाजा लगाया जा सकता है नेपाल में 2015 जैसे 7.8 के तीव्रता वाले भूकंप की स्थिति में दिल्ली का मंजर क्या होगा।

देश में भूकंप संभावित क्षेत्र

  • जोन 5 (सबसे अधिक खतरे वाला क्षेत्र) : पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार का उत्तरी भाग, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह।
  • जोन 4 (उच्च खतरे वाला क्षेत्र): दिल्ली-एनसीआर, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश का कुछ भाग।
  • जोन 3 (मध्यम खतरे वाला क्षेत्र) : महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक।
  • जोन 2 (न्यूनतम खतरे वाला क्षेत्र): राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिणी भारत के कुछ हिस्से।

 हिमालय और उसके आसपास के क्षेत्र

हिमालय क्षेत्र भूकंप के लिए सबसे संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि यह क्षेत्र इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टकराहट का केंद्र है। हिमालय के पहाड़ अभी कच्‍चे हैं। बिना भूकंप के भी वहीं लैंड स्‍लाइड जैसी घटनाएं सामने आती रहती हैं।

भूकंप कैसे आता है?

भूकंप मुख्य रूप से टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण आता है। जब प्लेटें एक-दूसरे से टकराती, अलग होती या खिसकती हैं, तो बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकलती है। ऊर्जा के इस अचानक निकलने से भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं जो जमीन को हिला देती हैं। भूकंप के दौरान और उसके बाद, चट्टान की प्लेटें या ब्लॉक हिलना शुरू हो जाते हैं। वे तब तक हिलते रहते हैं जब तक कि वे फिर से चिपक न जाएं। भूमिगत वह स्थान जहां चट्टान सबसे पहले टूटती है उसे भूकंप का फोकस या हाइपोसेंटर कहा जाता है। फोकस के ठीक ऊपर (जमीन की सतह पर) जगह को भूकंप का केंद्र कहा जाता है।

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