द लेंस डेस्क। गुजरात के अमरेली जिले के बागसरा तालुका में मोटा मुंजियासर प्राथमिक विद्यालय में एक हैरान करने वाली घटना सामने आयी है। यहाँ कक्षा 5 से 7 तक के लगभग 25 छात्रों ने एक ‘डेयर गेम’ के तहत पेंसिल शार्पनर के ब्लेड से अपने हाथों पर वार कर खुद को घायल कर लिया। यह घटना तब सामने आई जब एक अभिभावक ने स्कूल प्रशासन को सूचित किया। छात्रों ने एक-दूसरे को चुनौती दी थी कि वे या तो खुद को चोट पहुँचाएँ या 10 रुपये का भुगतान करें। इस घटना के बाद अब छात्रों की काउंसलिंग की तैयारी की जा रही है
अमरेली की यह घटना कोई पहली घटना नहीं है जो बच्चों द्वारा आत्म-नुकसान से जुड़ी हो। इससे पहले 2017-18 में ‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था। इस ऑनलाइन गेम में बच्चों को खतरनाक कार्य करने की चुनौती दी जाती थी, जिसके परिणामस्वरूप कई किशोरों ने अपनी जान गँवा दी थी। मुंबई में एक 14 साल के लड़के की आत्महत्या इसका एक दुखद उदाहरण था। इसके अलावा 2022 में मध्य प्रदेश के भोपाल में एक नाबालिग ने ‘फ्री फायर’ गेम की लत के कारण आत्महत्या कर ली थी। हालाँकि अमरेली का मामला ऑनलाइन प्रभाव के बजाय मौखिक चुनौती से जुड़ा है, जो इसे और भी असामान्य बनाता है।

इस घटना ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएँ बच्चों में सामाजिक दबाव, स्वीकृति की चाह और जोखिम लेने की प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। एक मनोविज्ञानिक डॉक्टर कहतीं हैं कि “बच्चे अक्सर अपने समूह में पहचान बनाने के लिए खतरनाक कदम उठाते हैं। यह घटना तनाव या अवसाद का संकेत कम और सामाजिक प्रभाव का परिणाम ज्यादा लगती है।” वहीं, शिक्षा विशेषज्ञ का कहना है, “स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की कमी और निगरानी का अभाव ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे सकता है। बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि साहस और मूर्खता में अंतर होता है।”
जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी किशोर मियानी ने भी इस पर चिंता जताते हुए कहा, “हम काउंसलिंग के जरिए यह समझने की कोशिश करेंगे कि बच्चे ऐसा करने के लिए कैसे प्रेरित हुए। शिक्षकों और अभिभावकों के साथ चर्चा भी जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकें।” विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते बच्चों के व्यवहार पर ध्यान न दिया गया तो यह उनके आत्म-सम्मान और भावनात्मक स्थिरता पर लंबे समय तक नकारात्मक असर डाल सकता है।
अमरेली की इस घटना के बाद पुलिस ने स्कूल का दौरा किया और अभिभावकों के बयान दर्ज किए हैं। कोई आपराधिक इरादा न पाए जाने के बावजूद मामले को जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा गया है। स्कूल प्रशासन और सरकार अब बच्चों के कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि बच्चों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और जोखिम भरे खेलों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।