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Home » धनवानों को क्यों रास नहीं आ रहा भारत, 22 फीसदी लोग विदेशों में चाहते हैं बसना

देश

धनवानों को क्यों रास नहीं आ रहा भारत, 22 फीसदी लोग विदेशों में चाहते हैं बसना

Amandeep Singh
Last updated: March 27, 2025 6:34 pm
Amandeep Singh
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नई दिल्ली। भारत के 22 फीसदी धनवानों को अपना ही देश नहीं भा रहा है। कोटक प्राइवेट की एक रिपोर्ट के अनुसार 22 फीसदी भारतीय रहने की स्थिति, विदेशों में बेहतर जीवन स्तर और आसान कारोबारी माहौल के कारण दूसरे देश में बसने की इच्छा रखते हैं। कोटक प्राइवेट ने मंगलवार को जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट में ये खुलासा किया है। देश के 150 अमीर लोगों पर हुए सर्वेक्षण में ये रिपोर्ट सामने आई है। दो तिहाई लोग इसलिए विदेश में बसना चाहते हैं, क्योंकि वहां कारोबार करना आसान है।

क्या पूरा पैसा भी भारत से ले जाएंगे ?

कोटक महिंद्रा बैंक की अध्यक्ष गौतमी गवांकर का कहना है कि अमीरों के विदेश जाने का मतलब ये नहीं है कि वे अपना पूरा पैसा भी भारत से ले जाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ नियम और शर्तें हैं, जिसके तहत कोई व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है। गंवाकर ने बताया कि भारत में रहने वाला नागरिक हर साल सिर्फ ढ़ाई लाख डॉलर ही विदेश लेकर जा सकता है। वहीं अनिवासी भारतीय के लिए ये सीमा दस लाख डॉलर है। नियमों से स्पष्ट है कि अमीर भले ही देश से चले जाएं उनका पैसा भारत में ही रहेगा।

भारतीय नागरिकता से भी है प्रेम
सर्वेक्षण में शामिल कुछ अमीरों का मानना है कि वे दूसरे देश में बसने की प्रक्रिया में है, या इसकी तैयारी कर रहे हैं। अधिकतर अमीर लोग और उनका परिवार भारत की नागरिकता के साथ दूसरे देश में नियमित रूप से रहने की इच्छा रखते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि जो धनवान देश छोड़ कर विदेशों में बसने की प्लानिंग कर रहे हैं उन्हें भारतीय नागरिकता से प्रेम है।

धनवानों के ये देश पहली पसंद
देश के जो अमीर विदेशों में बसना चाहते हैं उनकी पहली पसंद अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) है। सर्वेक्षण में लोगों ने बताया कि वे यूएई में उसके गोल्डन वीजा योजना के कारण बसना चाहते हैं क्योंकि इसके उन्हें कई लाभ मिल सकते हैं।

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