लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बेहद गंभीर आरोप लगाया है कि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है। दरअसल बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष के नेता को लक्षित कर कहा था कि सदन के भीतर सदस्यों को मर्यादा बनाए रखनी चाहिए, इस पर जब राहुल ने अपनी बात रखनी, चाही तो लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। राहुल का आरोप है कि बीते एक हफ्ते से वह सदन में कुछ बोलना चाहते हैं और हर बार लोकसभा अध्यक्ष उन्हें बोलने की इजाजत नहीं देते। भारतीय संसदीय इतिहास में यह अभूतपूर्व स्थिति है, जब सदन में विपक्ष के नेता को बोलने की इजाजत नहीं दी जा रही है। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष से यह उम्मीद की जाती है कि वह सदन के भीतर निष्पक्ष रहें और सत्ता तथा विपक्ष के बीच संतुलन बनाकर चलें। हाल के वर्षों में सदन के भीतर इस संतुलन को बिगड़ते देखा गया है। यह स्थिति हमारे लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छी नहीं है। दरअसल ताजा मामला पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अचानक सदन के भीतर कुंभ की सफलता पर भाषण दिए जाने से जुड़ा हुआ है, जब विपक्ष के नेता राहुल ने भी अपनी बात रखनी चाही तो स्पीकार ने उन्हें नियमों को हवाला देकर इजाजत नहीं दी। वास्तव में संसदीय लोकतंत्र नियमों के साथ ही गौरवशााली परंपराओं से भी चलता है। विपक्ष की आवाज के बिना संसद सत्ता का एकालाप बन कर रह जाएगी। यह स्थिति न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि पूरी तरह अस्वीकार्य है।