फलस्तीन पर इस्राइल के हमलों के बीच हाल ही में ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली डाक्यूमेंट्री नो अदर लैंड के सहनिदेशक फलस्तीनी फिल्मकार हमदान बिल्लाल पर पहले हमले और फिर उन्हें अज्ञात स्थान ले जाए जाने की खबर ने स्तब्ध कर दिया है। हफ्ते भर पहले ही इस्राइली सेना के हमले में 400 फलस्तीनी मारे गए थे, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी थे। यह कितना त्रासद है कि दूसरे विश्व युद्ध में यहूदियों को हिटलर के बर्बर नस्लीय हमले का सामना करना पड़ा था, उन्हीं यहूदियों के वंशज एक राष्ट्र के लिए पूरे एक समुदाय का सफाया कर देने पर आमादा हैं। यह इत्तफाक ही है कि नो अदर लैंड के मुख्य निदेशक इस्राइली पत्रकार युवाल अब्रहाम हैं, जिन्होंने इसमें दिखाया है कि किस तरह इस्राइली फौज के प्रशिक्षण के लिए एक फलस्तीन बस्ती को बुलडोजर चलाकर उजाड़ दिया जाता है। बेशक हमास ने इस्राइलियों पर हिंसक हमले किए हैं, जिसे जायज नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन फलस्तीन आज यदि बर्बरता की जमीन बन गया है, तो इसके लिए सबसे पहले इस्राइल ही जिम्मेदार है। वास्तव में इस्राइली प्रधानमंत्री नेतनन्याहू और उनकी फौज ने फलस्तीन में शांति की किसी भी संभावना की धज्जियां उड़ा दी हैं। बहरहाल इस समय फलस्तीन में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की सबसे बड़ी चिंता हमदान बिल्लाल को लेकर होनी चाहिए, जिनकी जिंदगी खतरे में है।