[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
BIG BREAKING : उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा
सड़कों पर पंडाल और स्वागत द्वार पर हाईकोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने कहा- अनुमति लेने की गाइडलाइंस लागू रहेगी
विपक्ष पर जवाबी हमले का मोदी ने दिया मंत्र, 17 विधेयक लाने की तैयारी, उद्धव शिवसेना के सांसदों के टूटने की चर्चा गर्म
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने ED के बयान पर दी प्रतिक्रिया, साथ में ED को लेकर दो फोटो भी की पोस्ट
राज्यसभा में मल्लिकार्जन खरगे, लोकसभा में राहुल ने ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार को घेरा
मानसून सत्र हंगामेदार, लेकिन इस मामले पर पक्ष-विपक्ष एकजुट  
ED का बड़ा खुलासा, चैतन्य बघेल को घोटाले से मिले 16 करोड़ 70 लाख को रियल स्टेट में किया निवेश
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का 101 साल की उम्र में निधन
ढाका में स्कूल के ऊपर एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट क्रैश, 19 की मौत, 100 से अधिक घायल
वामपंथी ट्रेड यूनियन नेता बी.सान्याल का निधन
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.

Home » गणेश शंकर विद्यार्थी:  सामाजिक सुधारों की मुखर आवाज

सरोकार

गणेश शंकर विद्यार्थी:  सामाजिक सुधारों की मुखर आवाज

Editorial Board
Last updated: April 14, 2025 9:47 pm
Editorial Board
Share
SHARE
  • 25 मार्च 1931 को कानपुर में सांप्रदायिक दंगे में कर दी गई थी उनकी हत्‍या

गणेश शंकर विद्यार्थी एक प्रसिद्ध भारतीय पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 26 अक्टूबर 1890 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था। उनके पिता जयंती प्रसाद एक शिक्षक थे, जिससे उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेम विरासत में मिला। गणेश शंकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा।

उन्होंने 1913 में हिंदी साप्ताहिक पत्रिका “प्रताप” की शुरुआत की, जो स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधार के मुद्दों को उठाने वाला एक प्रभावशाली मंच बन गया। वे न केवल एक कुशल लेखक थे, बल्कि एक निडर पत्रकार भी थे, जिन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आवाज उठाई और जनता को जागरूक किया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे।

25 मार्च 1931 को कानपुर में सांप्रदायिक दंगे के दौरान लोगों को बचाने की कोशिश करते हुए उनकी हत्या कर दी गई। उनकी मृत्यु ने देश को एक साहसी और समर्पित व्यक्तित्व से वंचित कर दिया, लेकिन उनकी विरासत आज भी प्रेरणा देती है।

आज उनकी पुण्‍यतिथि पर ‘द लेंस’ लेकर आया है उनकी कलम से लिखा निबंध ‘धर्म की आड़’। यह निबंध आज के ताजा हालात पर इसलिए प्रासंगिक है कि देश के अलग–अलग हिस्‍सों में धर्म की आड़ में तनाव फैलाया जा रहा है। कभी संभल तो कभी नागपुर जैसी घटनाएं हमारे सामने हैं।  

धर्म की आड़

इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्पात किए जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर, और ज़िद की जाती है, तो धर्म और ईमान के नाम पर। रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और ईमान को जानें, या न जानें, परंतु उनके नाम पर उबल पड़ते हैं और जान लेने और जान देने के लिए तैयार हो जाते हैं।

देश के सभी शहरों का यही हाल है। उबल पड़नेवाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है। यथार्थ दोष है, कुछ चलते-पुरजे, पढे़-लिखे लोगों का, जो मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग इसलिए कर रहे हैं कि इस प्रकार, जाहिलों के बल के आधार पर उनका नेतृत्व और बड़प्पन कायम रहे। इसके लिए धर्म और ईमान की बुराइयों से काम लेना उन्हें सबसे सुगम मालूम पड़ता है। सुगम है भी।

साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह बैठी हुई है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक दे देना वाजिब है। बेचारा साधारण आदमी धर्म के तत्त्वों को क्या जाने? लकीर पीटते रहना ही वह अपना धर्म समझता है। उसकी इस अवस्था से चालाक लोग इस समय बहुत बेजा फ़ायदा उठा रहे हैं।

पाश्चात्य देशों में, धनी लोग गरीब मजदूरों के परिश्रम से बेजा लाभ उठाते हैं।  उसी परिश्रम की बदौलत गरीब मजदूर की झोंपड़ी का मज़ाक उड़ाती हुई उनकी अट्टालिकाएँ आकाश से बातें करती हैं! गरीबों की कमाई ही से वे मोटे पड़ते हैं, और उसी के बल से, वे सदा इस बात का प्रयत्न करते हैं कि गरीब सदा चूसे जाते रहें। यह भयंकर अवस्था है! इसी के कारण, साम्यवाद, बोल्शेविज़्म आदि का जन्म हुआ।

हमारे देश में, इस समय, धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है। यहाँ, धर्म के नाम पर, कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरुपयोग किया करते हैं। गरीबों का धनाढ्यों द्वारा चूसा जाना इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा यह है कि वहाँ है धन की मार, यहाँ है बुद्धि पर मार। वहाँ धन दिखाकर करोड़ों को वश में किया जाता है, और फिर मन-माना धन पैदा करने के लिए जोत दिया जाता है। यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर, धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के  नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।

मूर्ख बेचारे धर्म की दुहाइयाँ देते और दीन-दीन चिल्लाते हैं, अपने प्राणों की बाजियाँ खेलते और थोडे़-से अनियंत्रित और धूर्त आदमियों का आसन ऊँचा करते और उनका बल बढ़ाते हैं। धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए, साहस और दृढ़ता के साथ, उद्योग होना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक भारतवर्ष में नित्य-प्रति बढ़ते जाने वाले झगडे़ कम न होंगे।

धर्म की उपासना के  मार्ग में कोई भी रुकावट न हो। जिसका मन जिस प्रकार चाहे, उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगावे। धर्म और ईमान, मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊंचे उठाने का साधन हो। वह, किसी दशा में भी, किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन न बने। आपका मन चाहे, उस तरह का धर्म आप मानें, और दूसरों का मन चाहे, उस प्रकार का धर्म वह माने। दो भिन्न धर्मों के मानने वालों के टकरा जाने के लिए कोई भी स्थान न हो। यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं ज़बरदस्ती टाँग अड़ाते हों, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए।

देश की स्वाधीनता के लिए जो उद्योग किया जा रहा था, उसका वह दिन निःसंदेह, अत्यंत बुरा था, जिस दिन, स्वाधीनता के क्षेत्र में, खिलाफ़त, मुल्ला, मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया। एक प्रकार से उस दिन हमने स्वाधीनता के क्षेत्र में, एक कदम पीछे हटकर रखा था। अपने उसी पाप का फल आज हमें भोगना पड़ रहा है। देश को स्वाधीनता के संग्राम ही ने मौलाना अब्दुल बारी और शंकराचार्य को देश के सामने दूसरे रूप में पेश किया, उन्हें अधिक शक्तिशाली बना दिया और हमारे इस काम का फल यह हुआ है कि इस समय, हमारे हाथों ही से बढ़ाई इनकी और इनके से लोगों की शक्तियाँ हमारी जड़ उखाड़ने और देश में मज़हबी पागलपन, प्रपंच और उत्पात का राज्य स्थापित कर रही हैं।

महात्मा गांधी धर्म को सर्वत्र स्थान देते हैं। वे एक पग भी धर्म के बिना चलने के लिए तैयार नहीं। परंतु उनकी बात ले उड़ने के पहले, प्रत्येक आदमी का कर्त्तव्य यह है कि वह भली-भाँति समझ ले कि महात्माजी के धर्म’ का स्वरूप क्या है? धर्म से महात्माजी का मतलब धर्म के ऊँचे और उदार तत्त्वों ही से हुआ करता है। उनके मानने में किसे एतराज़ हो सकता है।

अज़ाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज़ पढ़ने का नाम धर्म नहीं है। शुद्धाचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं। दो घंटे तक बैठकर पूजा कीजिए और पंच-वक्ता नमाज़ भी अदा कीजिए, परंतु ईश्वर को इस प्रकार की रिश्वत के दे चुकने के पश्चात्, यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ़ पहुंचाने के लिए आज़ाद समझते हैं तो, इस धर्म को, अब आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा। अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी। सबके कल्याण की दृष्टि से, आपको अपने आचरण को सुधारना पडे़गा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देश-भर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगी।

ऐसे धार्मिक और दीनदार आदमियों से तो, वे ला-मज़हब और नास्तिक आदमी कहीं अधिक अच्छे और ऊँचे हैं, जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख-दुःख का खयाल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ-सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं। ईश्वर इन नास्तिकों और ला-मज़हब लोगों को अधिक प्यार करेगा, और वह अपने पवित्र नाम पर अपवित्र काम करने वालों से यही कहना पसंद करेगा, मुझे मानो या न मानो, तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!

TAGGED:Ganesh Shankar Vidyarthiindian freedom fighterjournalistkanpur
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article इफ्तार की सियासत में लालू पड़े अकेले, कांग्रेस के दिग्गज नदारद
Next Article ऑस्कर विजेता फिल्म निर्माता हमदान की आंख पर पट्टी बांधकर ले गए इजरायली सैनिक, दोस्त को है शक…

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

जानिए क्‍या है सुनीता विलियम्स का अगला प्‍लान, भारत को बताया “अद्भुत, बिल्कुल अद्भुत”

286 दिन अंतरिक्ष में बिताने वाली भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने बताया कि अंतरिक्ष…

By Arun Pandey

जमीन रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा रोकने सरकार ने बनाए नियम, लेकिन भू-माफियाओं ने 3 मरे हुए लोगों के नाम पर ही कर डाला फर्जीवाड़ा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक तरफ सरकार जमीन रजिस्ट्री के नाम पर फर्जीवाड़े रोकने नए-नए सिस्टम…

By Danish Anwar

स्त्रियों के खिलाफ

स्त्रियों के खिलाफ अन्याय कई तरह से हो सकता है और यह कानून के रूप…

By The Lens Desk

You Might Also Like

cutting hair is prohibited in Islam
सरोकार

लोकतंत्र में फतवे की जगह नहीं!

By Editorial Board
Maoist Movement in India
सरोकार

निर्णायक अंत के सामने खड़े माओवादियों के जन्म की कथा !

By Editorial Board
सरोकार

आपातकाल – कल और आज

By Subhashini Ali
Exploitation of medical students
सरोकार

एनएमसी की बीमार व्यवस्था से बेबस मेडिकल स्टूडेंट्स

By Vishnu Rajgadia
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?