रायपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने जा रहें हैं। संघ इस वर्ष को शताब्दी वर्ष के रूप में मनाने की तैयारी जोर शोर से कर रहा है। लेकिन दूसरी ओर डीलिस्टिंग को लेकर आरएसएस का रवैया नरम दिखाई दे रहा है। बेंगलुरु में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में संघ के सौ वर्ष पूरे होने पर हिंदुओं को जगाने विशेष प्लानिंग भी की गई है। मंडल से लेकर जिला स्तर तक हिन्दू सम्मेलन का आयोजन कराने की योजना बनाई गई है।
डीलिस्टिंग का मुद्दा ठंडे बस्ते में?
छत्तीसगढ़ के 2023 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले संघ ने विशाल डीलिस्टिंग महारैली का आयोजन किया था। चुनाव में इसका काफी हद तक असर भी देखने को मिला था। बात करें आज के हालात की तो डीलिस्टिंग मुद्दा ठंडा नजर आ रहा है। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भी डीलिस्टिंग के मुद्दे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। वहीं मध्यक्षेत्र के क्षेत्रीय सर संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना ने कहा कि डीलिस्टिंग का मुद्दा गंभीर है,केवल भाजपा ही नहीं कांग्रेस के भी कुछ विधायक मतांतरण को लेकर सख्त कदम उठाने की चर्चा सदन में करते हैं। मतांतरण को लेकर कड़ा कानून बनाना चाहिए।
संघ की योजना घर– घर पहुंचेंगे कार्यकर्ता
संघ अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, संघ का उद्देश्य किसी से छुपा नहीं है। हिंदुओं को जगाने के लिए संघ के कार्यकर्ता हिंदुओं के घर– घर तक जाएंगे। क्षेत्रीय सर संघचालक पूर्णेंदु सक्सेना ने कहा कि संघ इस वर्ष को शताब्दी वर्ष के रूप में मनाएगा। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में यह तय किया गया है कि सभी मंडल, खंड और जिला स्तर पर हिंदू सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। संघ के कार्यकर्ता हिंदुओं के घर– घर जाकर उनको जगाने का काम करेंगे। संघ की संख्याओं में भी पिछले वर्ष की अपेक्षा विस्तार हुआ है। 51 हजार से ज्यादा शाखाएं लगाई जा रहीं हैं। शताब्दी वर्ष के अवसर पर जिले में प्रमुख नागरिक संवाद का आयोजन किया जाएगा।
बांग्लादेश के मुद्दे को लेकर प्रस्ताव पारित
संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता के साथ खड़े रहने का आव्हान प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव में बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर इस्लामी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हो रही सुनियोजित हिंसा अन्याय, उत्पीड़न पर गहरी चिंता जताई है। इसे मानवाधिकार हनन का विषय भी बताया है। संघ का मत है कि इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ विश्व भर के हिंदुओं को खड़े होना चाहिए। साथ ही सरकार को पड़ोसी देश हिंसक गतिविधियों को रोकने का दबाव डालना चाहिए।