The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Latest News
रायपुर में हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर के घर क्राइम ब्रांच का छापा, 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद
छत्तीसगढ़ में हस्तशिल्प विकास की अपार संभावना – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
24 घंटों में कोरोना से पांच मौत, चार हजार एक्टिव केस
रायपुर में पीड़ित महिला की नहीं हो रही सुनवाई, पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
राहुल गांधी का कटाक्ष, “ट्रंप का फोन आया और पीएम मोदी सरेंडर”
8 घंटे में ही घुटने पर कैसे आया पाकिस्‍तान, जानिए सीडीएस चौहान ने अब क्‍या बताया
नकटी गांव में विधायक कॉलोनी या कुछ और है तैयारी? कलेक्टर ने कहा- आगे का प्लान नहीं बता सकते
रायगढ़ ब्रेकिंग: बर्फ फैक्ट्री में गैस सिलेंडर फटने से हादसा, मालिक की मौत, तीन घायल
वाशिंगटन में शशि थरूर और बिलावल भुट्टो आमने-सामने, दुनिया भर की टिकी निगाहें
रायपुर के टोर में किसानों ने बिजली विभाग और जिला प्रशासन अधिकारियों के खिलाफ खोला मोर्चा, पुलिस ने किया बल प्रयोग
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • देश
  • दुनिया
  • लेंस रिपोर्ट
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • Podcast
  • सरोकार
  • छत्तीसगढ़
  • वीडियो
  • More
    • English
    • स्क्रीन
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • आंकड़ा कहता है
    • टेक्नोलॉजी-ऑटोमोबाइल्‍स
    • धर्म
    • नौकरी
    • लेंस अभिमत
    • साहित्य-कला-संस्कृति
    • सेहत-लाइफस्‍टाइल
    • अर्थ
Follow US
© 2025 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
The Lens > देश > लॉकडाउन दंश के पांच साल बाद कहां खड़े हैं हम: सरकारी वादे, दावे और हकीकत
देश

लॉकडाउन दंश के पांच साल बाद कहां खड़े हैं हम: सरकारी वादे, दावे और हकीकत

Arun Pandey
Last updated: March 24, 2025 8:41 pm
Arun Pandey
Share
SHARE

केस 1: 12 वर्षीय जमलो मड़कामी की दर्दनाक मृत्यु

बारह वर्षीय जमलो मड़कामी अपने परिवार के साथ तेलंगाना से छत्तीसगढ़ पैदल जा रही थी। 100 किलोमीटर की कठिन यात्रा के बाद, घर से मात्र 14 किलोमीटर पहले ही वह भूख और थकान के कारण दम तोड़ देती है। जमलो और उसका परिवार साल 2020 में गांव के कुछ लोगों के साथ काम की तलाश में तेलंगाना के पेरूर गांव गए थे, जहां वह मिर्ची तोड़ने का काम कर रही थी। लेकिन लॉकडाउन-2 शुरू होने के बाद, 16 अप्रैल 2020 को यह नन्ही बच्ची कुछ अन्य लोगों के साथ बीजापुर लौटने के लिए पैदल ही निकल पड़ी। तमाम दुश्वारियां झेलते हुए, 12 प्रवासी मजदूरों का यह समूह 18 अप्रैल को बीजापुर के मोदकपाल तक पहुंचा। मगर, अफसोस कि घर से कुछ दूरी पर ही बच्ची की मौत हो गई।

केस 2: औरंगाबाद रेलवे हादसा, 16 मजदूरों की मौत

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में लॉकडाउन के दौरान पैदल घर लौट रहे मजदूर जब थककर रेलवे ट्रैक पर सो गए, तो एक मालगाड़ी ने उन्हें कुचल दिया था। यह दुखद घटना 8 मई 2020 को बदनापुर-करमाड रेलवे स्टेशन के पास घटी थी। इस हादसे में 16 मजदूरों की मौत हो गई। जिन मजदूरों की जान गई, वे सभी मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और महाराष्ट्र के जालना में एक कंपनी में काम करते थे। 5 मई को इन मजदूरों ने जालना से सफर शुरू किया था।

सरकार के पास नहीं है मारे गए प्रवासी मजदूरों का डेटा

ये घटनाएं शायद ही किसी को याद हों, लेकिन हकीकत यही है कि इन जैसी तमाम घटनाएं उस वक्‍त मीडिया की सुर्खियां बनीं। बाद में सरकार ने संसद में बताया कि उनके पास लॉकडाउन में मारे गए प्रवासी मजदूरों का कोई आधिकारिक डेटा नहीं है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि लॉकडाउन के दौरान जुलाई 2020 तक 971 मौतें हुई थीं, जिनमें सड़क हादसे, भूख और आत्महत्या शामिल थीं। ये घटनाएं लॉकडाउन लागू करने के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के प्रबंधन और दावों की सच्चाई को उजागर करती हैं। 24 मार्च 2020 को भारत में पहला राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था, जो कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए किया गया था। इसके पांच साल पूरे हो रहे हैं, लेकिन उस समय उत्पन्न आर्थिक, सामाजिक और मानवीय प्रभाव आज भी महसूस किए जा रहे हैं।

मुफ्त राशन योजना अभी तक क्यों जारी ?

16 मई 2024 को जनसत्ता में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना काल के दौरान 2020 में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत लाभार्थियों को 5 किलो अनाज मुफ्त में दिया जाना था। बीपीएल कार्ड धारकों को हर महीने 5 किलो राशन देने की बात थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 80 करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया।

अब 2025 में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि 81 करोड़ से अधिक लोग अभी भी मुफ्त राशन का लाभ उठा रहे हैं। 20 दिसंबर 2024 को उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पांच साल यानी 2028 तक बढ़ा दिया गया है।

इसका अर्थ यह भी है कि लॉकडाउन के दौरान गरीबी और भुखमरी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से पूरी तरह उबरने में और समय लगेगा। विपक्षी दल इस योजना की आलोचना करते रहे हैं और इसे “चुनावी रेवड़ी” करार देते हुए सरकार पर गरीबी के स्थायी समाधान की बजाय काल्पकालिक लाभ देने का आरोप लगाते हैं।

कॉरपोरेट को लाभ, मजदूरों की अनदेखी

लॉकडाउन के दौरान कई राज्य सरकारों ने श्रम कानूनों में बदलाव किए, यह दावा करते हुए कि इससे मजदूरों को फायदा होगा, लेकिन वास्तविकता इससे अलग थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने 38 में से 35 श्रम कानूनों को तीन साल के लिए निलंबित कर दिया ताकि उद्योगों को राहत मिल सके।

गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा ने काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए, जिससे बड़े उद्योगपतियों को उत्पादन बढ़ाने और श्रम लागत कम करने का अवसर मिला, लेकिन मजदूरों के अधिकारों की अनदेखी हुई। खाने की कमी के कारण यूपी और बिहार से गए मजदूरों का पलायन हर बड़े शहर से बड़े पैमाने पर हुआ।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार भारत में असंगठित क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई 2020 में मनरेगा मजदूरी बढ़ाने और तीन महीने तक 500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की थी। 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज में प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार सृजन का वादा किया गया था।

2021 के बाद मनरेगा फंडिंग में भारी कटौती देखी गई। “आत्मनिर्भर पैकेज” का बड़ा हिस्सा सीधे मजदूरों को रोजगार देने के बजाय कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने में खर्च हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में सरकार से प्रवासी मजदूरों के लिए एक डेटाबेस और ठोस नीति बनाने को कहा था, लेकिन आज तक इसे पूरी तरह लागू नहीं किया गया।

अब कहां खड़ी है भारतीय अर्थव्यवस्था?

वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की GDP में 7.3% की गिरावट दर्ज की गई, जो आज़ादी के बाद सबसे बड़ी थी। देश के 9.3 करोड़ शहरी श्रमिक प्रभावित हुए। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, वैश्विक कार्यबल का 81% लॉकडाउन से प्रभावित हुआ था। मजदूरों की आय समाप्त होने से उनकी क्रय शक्ति घटी, जिससे छोटे व्यवसायों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

लॉकडाउन के पांच साल बाद केंद्र सरकार भले ही आर्थिक सुधारों का दावा कर रही हो, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। 2024-25 के लिए अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर 6.5% से 6.8% के बीच है। हालांकि, 2024 की दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.4% तक गिर गई थी, जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने “अस्थायी झटका” करार दिया था।

लॉकडाउन से मची अफरा-तफरी

लॉकडाउन की घोषणा 24 मार्च 2020 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी और यह मात्र चार घंटे बाद आधी रात से लागू हो गया। अचानक लिए गए इस फैसले के लिए कोई पूर्व तैयारी नहीं की गई थी, जिसके कारण पूरे देश में अफरा-तफरी मच गई। कारखाने, निर्माण स्थल और अन्य रोजगार बंद हो गए, जिससे लाखों प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया।

भूख और बेरोजगारी के कारण लाखों मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर लौटने लगे। दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर हजारों प्रवासी मजदूर अपने घर जाने के लिए जमा हो गए। मुंबई में भी लोकल ट्रेनें बंद होने से लोग सड़कों पर पैदल ही निकल पड़े।

TAGGED:covid 19lockdown
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article प्रदेश में बदला मौसम का मिजाज, गरज-चमक के साथ होगी तेज बारिश
Next Article Muslim quota is progressive and just

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

पुरानी सरकार का गरीबों को घर न देना एक पाप था-शिवराज

रायपुर। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) दो दिवसीय  छत्तीसगढ़ दौरे पर…

By Nitin Mishra

रायपुर में हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर के घर क्राइम ब्रांच का छापा, 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद

रायपुर। रायपुर के हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर और उसके भाई करणी सेना के अध्यक्ष वीरेंद्र तोमर…

By Nitin Mishra

शराब घोटाला : ईओडब्ल्यू ने पूर्व महापौर एजाज ढेबर को भेजा नोटिस, पूछताछ के लिए बुलाया

रायपुर । शराब घोटाला मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने पूर्व महापौर एजाज ढेबर…

By The Lens Desk

You Might Also Like

kv subrahmanyam
देश

सरकार ने आईएमएफ से सुब्रमण्यम को छह महीने पहले ही बुला लिया

By The Lens Desk
देश

सोने की तस्‍करी में फंसी कन्नड़ एक्ट्रेस रान्या, दुबई से निकाला लिंक, कपड़ों में छिपा कर लाती थी गोल्‍ड  

By The Lens Desk
Mallikarjun Kharge on Pahalgam attack
देश

पहलगाम हमले से पहले थी खुफिया जानकारी? खरगे ने पीएम मोदी पर लगाए गंभीर आरोप

By Lens News Network
देश

नागपुर हिंसा: पीड़ितों को 50,000 रुपये मुआवजा , 48 घंटे में मिलेगी राहत

By Poonam Ritu Sen

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?