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लेंस संपादकीय

लोकतंत्र के ये कैसे सेनानी

The Lens Desk
Last updated: March 21, 2025 6:46 pm
The Lens Desk
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छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित 1975 के आपातकाल के दौरान जेल में रहे राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली पेंशन की बहाली से संबंधित छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक को भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के बरक्स समझने की जरूरत है, जिसके लिए आपातकाल का दौर कांग्रेस के खिलाफ आज भी एक बड़ा हथियार है। बेशक, आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला धब्बा है, जिसे लेकर खुद इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी तक माफी मांग चुकी थीं। फिर यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जनवरी, 1977 में खुद इंदिरा गांधी ने लोकसभा चुनाव का एलान किया था, जिसमें उनकी पराजय हुई थी। दूसरी ओर भाजपा और आरएसएस आपातकाल को अपने राजनीतिक संघर्ष में तमगे की तरह देखते हैं। भाजपा की राज्य सरकारों ने आपातकाल के दौरान मीसा के तहत जेल में बंद राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पेंशन की व्यवस्था कर रखी है। छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार ने इसे बंद कर दिया था, तो मौजूदा भाजपा सरकार ने इसे कानूनी जामा पहना दिया है। जहां तक इस देश में लोकतंत्र के संघर्ष की बात है, तो इसकी जड़ें आजादी की लड़ाई से जुड़ी हुई हैं, जिसमें आरएसएस की भूमिका को लेकर सवाल उठते हैं। दरअसल आपातकाल के दौरान लोकतंत्र को पहुंचाए गए नुकसान की चर्चा करने के साथ यह भी देख लेना चाहिए कि आज लोकतंत्र का कैसा क्षरण हो रहा है और संवैधानिक संस्थाओं की क्या दशा है।

TAGGED:BJPChhattisgarh AssemblyCongressEditorialIndira Gandhi
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