- यूक्रेन के खनिज संपदा पर अधिकार चाहता है अमेरिका
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस के ओवल ऑफ़िस में हुई मुलाकात तीखी बहस के साथ खत्म हो गई। दोनों रुस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने और खनिज समझौते के लिए किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए बैठे थे।
दरअसल रूस से लड़ाई में अमेरिका अब तक यूक्रेन की मदद करता आया है। इसी मदद के बदले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन से खनिज डील करना चाहते थे। ट्रंप ने जेलेंस्की से साफ कहा कि अब अमेरिका फ्री में यूक्रेन की मदद नहीं करेगा।
डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि यूक्रेन अपने दुर्लभ खनिजों को अमेरिका को दे। यह समझौता उस सुरक्षा के बदले होगा जो अमेरिका अब तक यूक्रेन को पहुंचाता रहा है।
बात बिगड़ने पर ट्रंप ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की शांति नहीं चाहते हैं और अगर वो समझौता नहीं करेंगे तो अमेरिका इस जंग से बाहर हो जाएगा। ट्रंप का यह भी दावा था कि यूक्रेन रूस के साथ जंग नहीं जीत सकता है।
अमेरिका का जोर डील पर
जेलेंस्की के अमेरिका पहुंचने पर डोनाल्ड ट्रंप ने उनका स्वागत किया। अमेरिकी मीडिया के हवाले से आई खबरों के अनुसार जेलेंस्की खनिज डील पर साइन करने ही पहुंचे थे। पत्रकारों ने ट्रंप से यूक्रेन की सुरक्षा पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी बात सिर्फ डील पर ही होगी। यूक्रेन की सुरक्षा कोई बड़ी समस्या नहीं है। यूरोपीय देश भी यूक्रेन को सुरक्षा देंगे। फिलहाल अमेरिका के लिए डील जरूरी है। यूक्रेन में खनिज का खनन होगा तो अमेरिका में अच्छे प्रोडेक्ट बनेंगे।
जेलेंस्की बोले बिना गांरटी कोई डील नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का तर्क था कि एक बार डील हो गई तो रूस भी यूक्रेन में दखल नहीं देगा। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि रूस ने कई बार सीजफायर का उल्लंघन किया है। ऐसे में बिना सुरक्षा की गारंटी के इस डील का कोई फायदा नहीं होगा। जेलेंस्की ने कहा, “हम गारंटी के साथ युद्ध विराम चाहते हैं।”
जेलेंस्की का कहना था कि रूस अगर पोलैंड पर हमला करता है तो अमेरिका को भी युद्ध में कूदना पड़ेगा। फिलहाल अमेरिका को कोई नुकसान नहीं हो रहा है, लेकिन यदि भविष्य में यदि ऐसी स्थितियां बनीं तो अमेरिका को भी समझना होगा। बस इसी बात पर डोनाल्ड भड़कते हुए बोले कि आप लाखों लोगों से खिलवाड़ कर रहे हैं और तीसरे विश्वयुद्ध का जुआ खेल रहे हैं।
ट्रंप के आने बाद अमेरिका-रूस के रिश्ते
एक समय में यूक्रेन से युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ मुखर आवाज उठाने वाले अमेरिका का रुख डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद नरम हो गया है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में पेश प्रस्ताव पर अमेरिका रूस के पक्ष में मतदान कर चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा रूस के साथ संबंध सुधारने का एक प्रमुख कारण उसे चीन से दूर करना हो सकता है। यदि रूस पश्चिमी देशों के करीब आता है और चीन से दूरी बनाता है, तो इससे अमेरिका को चीन की बढ़ती शक्ति का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है।