वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ‘गोल्ड कार्ड’ प्रोग्राम की घोषणा की है। यह ग्रीन कार्ड विदेशियों के लिए अमेरिका में बसने का रास्ता है, जिसकी शुरुआत मार्च से हो जाएगी। इस प्रीमियम कार्ड का एक्सेस हासिल करने के लिए बड़ी रकम खर्च करनी होगी। एक गोल्ड कार्ड की कीमत ट्रम्प ने पांच मिलियन डॉलर यानी 43 करोड़ रुपए से ज्यादा है। ऐसे में बहुत बड़ा भारतीय वर्ग इस कार्ड के जरिए अमेरिका में बसने की सोच भी नहीं सकता।

इस महंगे गोल्ड कार्ड के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति ट्रम्प ने बचाव करते हुए कहा कि अमेरिकी कंपनियां इस कार्ड को खरीदकर प्रतिभाशाली विदेशी छात्रों को नौकरी पर रख सकती हैं। ये छात्र भारत, चीन, जापान जैसे देशों से अमेरिका पढ़ने आते हैं, लेकिन नागरिकता की वजह से यहां रुक नहीं पाते हैं। इसके अलावा ट्रंप ने गोल्ड कार्ड से होने वाली कमाई से अमेरिकी फंड को मजबूती मिलने की बात कही है, जिससे राष्ट्रीय ऋण चुकाने में अमेरिका को फायदा होगा।

इसके अलावा ट्रम्प ने इस बात पर भी जोर दिया कि कई प्रतिभाशाली ग्रेजुएट्स जो अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर हुए, वे सभी अपने-अपने देशों में सफल उद्यमी बन गए। इस मामले पर उन्होंने कहा कि ‘वे भारत या अपने देश वापस चले जाते हैं, कंपनी खोलते हैं और अरबपति बन जाते हैं और हजारों लोगों को रोजगार देते हैं। यह अमेरिका के लिए एक बड़ा आर्थिक नुकसान है।’
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप अपने देश में ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए लोगों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि एक ओर तो वे लगातार नई-नई योजनाएं लेकर आ रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ वे सरकारी खर्च में कटौती भी कर रहे हैं। ट्रंप ने देश को प्राथमिकता देते हुए बात कही थी कि अगर कोई व्यवसाय अमेरिका में है तो उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा लेकिन बाहरी व्यवसाय को टैक्स चुकाना पड़ेगा।