[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
BIG BREAKING : उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा
सड़कों पर पंडाल और स्वागत द्वार पर हाईकोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने कहा- अनुमति लेने की गाइडलाइंस लागू रहेगी
विपक्ष पर जवाबी हमले का मोदी ने दिया मंत्र, 17 विधेयक लाने की तैयारी, उद्धव शिवसेना के सांसदों के टूटने की चर्चा गर्म
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने ED के बयान पर दी प्रतिक्रिया, साथ में ED को लेकर दो फोटो भी की पोस्ट
राज्यसभा में मल्लिकार्जन खरगे, लोकसभा में राहुल ने ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार को घेरा
मानसून सत्र हंगामेदार, लेकिन इस मामले पर पक्ष-विपक्ष एकजुट  
ED का बड़ा खुलासा, चैतन्य बघेल को घोटाले से मिले 16 करोड़ 70 लाख को रियल स्टेट में किया निवेश
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का 101 साल की उम्र में निधन
ढाका में स्कूल के ऊपर एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट क्रैश, 19 की मौत, 100 से अधिक घायल
वामपंथी ट्रेड यूनियन नेता बी.सान्याल का निधन
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.

Home » गुलबर्ग सोसाइटी केस : 23 साल बाद भी अधूरे न्याय की कहानी

अन्‍य राज्‍य

गुलबर्ग सोसाइटी केस : 23 साल बाद भी अधूरे न्याय की कहानी

Poonam Ritu Sen
Last updated: April 18, 2025 9:35 am
Poonam Ritu Sen
Share
SHARE

द लेंस डेस्क। दिन 28 फरवरी, साल 2002, स्थान – अहमदाबाद, गुजरात। ये तारीख और जगह भारत के उस काले अध्याय को उजागर करती है जिसको गुजरे 23 साल हो चुके हैं। गुलबर्ग सोसाइटी, गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है जो कभी एक शांत मुस्लिम बहुल आवासीय कॉलोनी हुआ करती थी, लेकिन 23 साल बाद आज ये जगह वैसी नहीं रही है। यहां के बंद कमरे, सूने मकान, दर्द बयां करती सड़कें आज भी भारत के इतिहास में एक दर्दनाक और विवादास्पद घटना के रूप में जानी जाती है।

आख़िर क्या हुआ था उस दिन ?

गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगाने की घटना हुई, जिसमें 59 लोग मारे गए। इस घटना ने गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा की आग भड़का दी। अगले ही दिन, 28 फरवरी को सुबह 9 बजे के आसपास चमनपुरा इलाके में गुलबर्ग सोसाइटी के बाहर हजारों की भीड़ जमा हो गई। दोपहर तक यह भीड़ हिंसक हो चली। उग्र भीड़ ने सोसाइटी की दीवारें तोड़ दी, घरों में आग लगा दी और वहां के निवासियों पर बेरहमी से हमला किया। छह घंटे तक चले इस हमले में कम से कम 69 लोग मारे गए, जिनमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। 35 से ज्यादा लोगों को जिंदा जला दिया गया या काटकर मार डाला गया, जबकि 31 लोग लापता हो गए, जिन्हें बाद में मृत मान लिया गया।

जाफरी की आखिरी लड़ाई, जकिया का निधन

एहसान जाफरी उस दिन न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि सोसाइटी के कई निवासियों के लिए ढाल बन गए। उन्होंने अपने घर में लोगों को शरण दी और पुलिस से लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तक को फोन कर मदद की गुहार लगाई। लेकिन समय पर सहायता न मिलने के कारण उन्हें भीड़ ने बेरहमी से मार डाला और जला दिया। उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने इसके बाद न्याय के लिए दो दशक से ज्यादा की लड़ाई लड़ी। 2006 में दायर उनकी याचिका में बड़े अधिकारियों पर साजिश के आरोप लगाए गए, लेकिन एसआईटी और कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। जकिया का निधन भी इसी साल 1 फरवरी को 87 साल की उम्र में हो गया, लेकिन जीते जी उन्हें न्याय नहीं मिल पाया।

गुलबर्ग नरसंहार की कानूनी जंग

इस मामले में पहली एफआईआर मेघानी नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई, जिसमें 66 लोग आरोपी बनाए गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर साल 2008 में एसआईटी ने जांच शुरू की। पूर्व सीबीआई प्रमुख आर.के. राघवन इस विशेष जांच दल के अध्यक्ष बनाए गए। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर 2 जून 2016 को अहमदाबाद की विशेष अदालत ने 24 लोगों को दोषी ठहराया। 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, 36 को बरी कर दिया गया। बरी होने वालों में बीजेपी के स्थानीय नेता बिपिन पटेल भी थे। इस बीच पीड़ितों और कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर लापरवाही और सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया था। इंस्पेक्टर के.जी. इरडा पर भी सवाल उठे, लेकिन उन्हें बरी कर दिया गया। जून 2022 में एसआईटी जांच रिपोर्ट को सही मानते हुए 60 से अधिक लोगों को गुजरात दंगों के मामले में क्लीनचिट दे दी गई।

गुलबर्ग सोसाइटी: एक छोटी सी दुनिया का अंत

29 बंगलों और 10 फ्लैटों वाली यह सोसाइटी मुस्लिम धर्म को मानने वाले उच्च-मध्यम वर्ग के परिवारों का बसेरा हुआ करती थी। एक पारसी परिवार को छोड़कर, यहां रहने वाले सभी लोग मुस्लिम थे। उस दिन की हिंसा ने इस छोटी सी दुनिया को तबाह कर दिया। आज यह जगह खंडहरों और यादों के बीच खामोश खड़ी है।

आज भी क्यों है चर्चा में?

23 साल बाद भी गुलबर्ग सोसाइटी का जिक्र पुलिस की भूमिका, धार्मिक ध्रुवीकरण और न्यायिक प्रणाली की खामियों को उजागर करता है। जकिया जाफरी की मृत्यु के बाद यह सवाल फिर उठ रहा है कि क्या पीड़ितों को कभी पूरा न्याय मिलेगा? क्या उस दिन की सच्चाई कभी पूरी तरह सामने आएगी?

TAGGED:ehsaan jafrigodharagujrat riotsgulberg societyjakiya jafri
Share This Article
Email Copy Link Print
ByPoonam Ritu Sen
Follow:
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
Previous Article सामूहिक चेतना पर दाग
Next Article मध्यप्रदेश में 30.77 लाख करोड़ निवेश का दावा

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

शराब घोटाला: अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं, 23 जुलाई को अगली सुनवाई

नई दिल्ली छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में कारोबारी अनवर ढेबर को अंतरिम जमानत…

By Lens News

बीजापुर की पहाड़ी में माओवादियों के बिछाए आईईडी बमों को फोर्स ने किया डिफ्यूज

लेंस संवाददाता। बीजापुर बीजापुर-तेलंगाना बॉर्डर पर कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर बस्‍तर का अब तक का…

By Lens News

कितनी सुलझी खेमका मर्डर केस की गुत्‍थी, अब तक एक एनकाउंटर, पुरानी रंजिश का खुलासा  

पटना। बिहार के कारोबारी गोपाल खेमका मर्डर केस में जिस दूसरे कारोबारी अशोक साव को…

By Arun Pandey

You Might Also Like

Ruckus in Etawah
अन्‍य राज्‍य

कथावाचकों से बदसलूकी पर बवाल, दो हजार प्रदर्शनकारियों ने घेरा थाना, अखिलेश यादव ने सरकार पर उठाए सवाल  

By Lens News Network
अन्‍य राज्‍य

तेलंगाना पुलिस ने मेधा पाटकर को क्‍यों दी इलाका छोड़ने की सलाह  

By The Lens Desk
JYOTI MALHOTRA
अन्‍य राज्‍य

पाकिस्तान जासूसी मामले में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की 4 दिन की रिमांड बढ़ी, पहलगाम हमले से कनेक्शन की जांच

By Lens News
पहलगाम
अन्‍य राज्‍य

पहलगाम हमले के बाद हुई कुछ अनसुनी बातें

By The Lens Desk
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?