इंदौर/मुंबई। बाल झड़ने से रोकने का सटीक इलाज मेडिकल साइंस भले ही न ढूंढ पाया हो लेकिन गंजे सिर पर बाल उगाने का कारगर दावा करने वाले अजग-गजब कर रहे हैं। ऐसा ही वाकया इंदौर में सामने आया है जहां ‘जादुई तेल’ से बाल उगाने का दावा करने वाले एक शख्स के बुलावे पर हजारों लोग पहुंच गए। ट्रैफिक जाम हो गया तो जादुई तेल लेकर आया शख्स भाग निकला। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के बुलढाणा से चौंकाने वाली खबर सामने आई जिसमें पता चला है कि जहरीला गेहूं खाने से 300 लोग गंजे हो गए। नीचे एक-एक कर दोनों खबरों को विस्तर से पढि़ए :-
गंजेपन के इलाज का दावा करने वाले सलमान पर दर्ज हो चुका है मामला
इंदौर के डकाचिया क्षेत्र में सोमवार को हजारों लोग काले घने बालों की चाह में इकट्ठा हो गए। गंजेपन के इलाज का दावा करने वाले सलमान के आने की खबर सुनते ही सुबह से ही लोग वहां दवा लेने के लिए पहुंचने लगे। भीड़ इतनी बढ़ गई कि वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। सड़क पर ट्रैफिक जाम हो गया। मीडिया में आई खबरों के अनुसार इस जमावड़े का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद सलमान मौके से भाग गया। सलमान उत्तर प्रदेश के बिजनौर का रहने वाला है और इससे पहले मेरठ और दिल्ली में भी गंजेपन के इलाज के लिए शिविर लगा चुका है। हाल ही में दिल्ली और मेरठ में उनके इलाज के लिए उमड़ी भारी भीड़ के कारण भगदड़ की स्थिति बन गई थी। इस मामले में एक व्यक्ति की शिकायत पर सलमान और उनके दो सहयोगियों के खिलाफ दिल्ली में मामला दर्ज हुआ था, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई।
क्या सच में संभव है गंजेपन का इलाज?
इंदौर की त्वचा विशेषज्ञ डॉ. श्रेया दास ने मीडिया को बताया कि “सिर पर बाल उगाने के ऐसे दावे व्यक्तिगत हो सकते हैं, लेकिन इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।” उन्होंने लोगों से अपील की कि बिना प्रमाणित चिकित्सा पद्धति के किसी भी उपचार पर भरोसा न करें।
महाराष्ट्र में 300 लोग अचानक गंजे कैसे हो गए ?
महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के 18 गांवों में अचानक गंजेपन की समस्या सामने आई, जिससे करीब 300 लोग प्रभावित हुए हैं। प्रभावित होने वालों में कॉलेज के छात्र, युवा और बुजुर्ग शामिल हैं। डॉ. हिम्मतराव बावस्कर द्वारा की गई एक जांच रिपोर्ट में इसके पीछे की वजह जहरीले गेहूं को बताया जा रहा है।
जांच में सरकारी राशन की दुकानों पर वितरित किए गए गेहूं में सेलेनियम की मात्रा सामान्य से कई गुना अधिक पाई गई। जिसके कारण बुलढाणा जिले की शेगांव तहसील के 18 गांवों में 300 से अधिक लोग असामान्य रूप से गंजेपन का शिकार हो गए।
पद्मश्री से सम्मानित डॉ. हिम्मतराव बावस्कर द्वारा किए गए शोध में सामने आया कि बुलढाणा के लोगों में अचानक गंजेपन की समस्या के पीछे उनके द्वारा खाए जा रहे गेहूं में मौजूद विषैले तत्व हो सकते हैं। मीडिया को दी जानकारी के अनुसार डॉ. बावस्कर ने बताया कि उन्होंने इस मामले का पता चलने पर महीने भर तक शोध किया जिसमें पाया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत जो गेहूं लोगों को दिया उसमें सेलेनियम का स्तर उच्च था, जबकि जिंक की मात्रा काफी कम थी। पता चला कि जिस गांव में अचानक गंजेपन की बीमारी फैली उस गांव के लोगों ने पीडीएस के तहत मिले गेहूं का सेवन किया था।
बोंदगांव के सरपंच रामेश्वर धारकर से लिए गए गेहूं के सैंपल की जांच की गई तो सेलेनियम की मात्रा अधिक पाई गई। सेलेनियम की अधिक मात्रा शिवालिक पर्वतीय क्षेत्र के नीचे उगाए जाने वाले गेहूं में पाई जाती है। जो कि महाराष्ट्र में उगाए जाने वाले गेहूं की तुलना में 600 गुना अधिक है।
माना जाता है कि सेलेनियम के अधिक सेवन से एलोपेसिया के लक्षण दिखाई देते हैं। प्रभावित गांवों में लोग लक्षण शुरू होने के तीन से चार दिनों के भीतर पूरी तरह से गंजेपन का शिकार हो गए। एलोपेसिया एक त्वचा संबंधी बीमारी है जिसमें बाल झड़ने लगते हैं।