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छत्तीसगढ़

जंगल सफारी बना वन्य जीवों का कब्रगाह, नागालैंड से लाए जा रहे भालू की मौत, प्रबंधन पर उठे सवाल

The Lens Desk
The Lens Desk
Published: February 25, 2025 3:13 PM
Last updated: March 6, 2025 3:32 PM
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के नया रायपुर के नंदनवन जंगल सफारी में वन्‍य जीव सुर‍क्षित नहीं हैं। बीते दिनों 5 साही की अज्ञात कारणों से मौत हो गई थी, जिसकी वजह अब तक सामने नहीं आई है। तो दूसरी तरफ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत नागालैंड से रायपुर लाए जा रहे हिमालयन भालू की रास्ते में मौत हो गई। हिमालयन भालू और 5 साही की मौत के बाद नंदनवन जंगल सफारी प्रबंधन पर कई सवाल खड़े हो रहें हैं।

जंगल सफारी में समय-समय पर एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत यहां के जानवरों के बदले दूसरे जानवरों को लाया जाता है।  नागालैंड के धीमापुर जू के लिए  डाक्टरों और वन विभाग की टीम 5 चीतल, 9 ब्लैक बग और 5 साही लेकर धीमापुर रवाना हुई थी। इनके बदले दो हिमालयन भालू जंगल सफारी लाए जा रहे थे। इनमें से नर भालू की रास्ते में मौत हो गई।

द लेंस ने हिमालयन भालू मौत के मामले में नंदनवन जंगल सफारी के डायरेक्टर धमशील गणवीर से बात की। उन्होंने कहा कि एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत हिमालयन भालुओं को रायपुर लाया जा रहा था। रास्ते में गर्मी लगने की वजह से भालू की हालत खराब हो गई और रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। भालू का पोस्टमार्टम किया गया है। रिपोर्ट आने के बाद मौत का स्पष्ट कारण पता चल सकेगा। पूरे मामले की जांच की जा रही है।

हिमालयन भालू की मौत पर सवाल

छत्तीसगढ़ में इससे पहले भी 2020 में दो हिमालयन भालू लाए गए थे, लेकिन उस समय इस प्रकार की घटना नहीं हुई। इस बार जो हिमालयन भालू का जोड़ा लाया जा रहा है, उसकी मौत की वजह गर्मी बताई जा रही है। भालू की मौत पर प्रबंधन की लापरवाही साफ तौर पर उजागर हो रही है। हिमालयन भालू की मौत के कुछ दिन पहले एक-एक कर पांच साही की मौत हुई थी। साही की मौत किन कारणों से हुई है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर इसका पता चलेगा। हिमालयन भालू और पांचों साही का पोस्टमार्टम जंगल सफारी में किया गया था। प्रबंधन ने इन वन्य जीवों की मौत की जानकारी करीब 4 दिन तक छिपाए रखी रही। जब खबर सामने आई तो प्रबंधन ने सफाई पेश की।

वन्य प्रेमियों ने भी सवाल खड़े किए

वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने हिमालयन भालू की मौत के बाद कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक गर्मी से भालू मरने की बात है तो वह गलत है। वन विभाग का दावा खोखला है क्योंकि उत्तर पूर्व से लेकर छत्तीसगढ़ तक ऐसी गर्मी नहीं पड़ रही कि भालू की मौत गर्मी से हो जाए। जानकारी के अनुसार असम से ही 2014 की तेज गर्मी में ट्रेन से भालू लाये गए थे। 12 घंटे हावड़ा में ट्रेन रुकी रही तब किसी भी भालू की मौत नहीं हुई थी। नियमानुसार वन विभाग जानवरों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए वातानुकूलित वाहन उपयोग करता है, उनमें स्प्रिंकलर भी लगा होता है। अगर वाहन वातानुकूलित नहीं था तो उसमें हिमालयन भालू क्यों लाए गए? दोनों भालू जब नागालैंड से निकले थे तो वहां के डॉक्टर ने स्वास्थ प्रमाण पत्र दिया था। इस प्रमाणपत्र में साफ लिखा हुआ था कि भालू स्वस्थ है। उसे कोई स्पर्शजन्य-रोग और संक्रामक रोग नहीं है। इस रिपोर्ट के बाद ही भालू के ट्रांसपोर्टेशन के लिए फिट पाया गया था।

TAGGED:ForestDepartmentJunglesafariKedarKashyap
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