दिल्ली की पिछली आप सरकार की शराब नीति पर पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने दो हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले से जुड़े उन्हीं आरोपों की पुष्टि की है, जिनके कारण पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को कानूनी मामलों का सामना करना पड़ रहा है। 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में लौटी भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान कैग की रिपोर्ट को आप के खिलाफ बड़ा हथियार बनाया था। खुद केजरीवाल और उनके बाद मुख्यमंत्री बनीं आतिशी के कार्यकाल के दौरान कैग ने 14 रिपोर्ट पेश की थीं, जिन्हें आप सरकार ने रोके रखा था। विधानसभा में पेश यह तो आप सरकार के कार्यकाल की कैग की पहली रिपोर्ट है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में केजरीवाल की मुश्किलें कितनी बढ़ सकती हैं। लेकिन वास्तव में यह सारा मामला कैग जैसी संस्था की साख से जुड़ा हुआ है, हाल के दशक में जिसका मनमाने तरीके से राजनीतिक इस्तेमाल किया गया है। आज कथित शराब घोटाले पर कैग की रिपोर्ट का सामना कर रहे पूर्व आईआरएस अरविंद केजरीवाल से बेहतर ढंग से भला इसे कौन जान सकता है, जिन्होंने 2 जी स्पेक्ट्रम और कोयला खदानों के आवंटन से संबंधित कैग की रिपोर्ट्स को कभी यूपीए सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाया था!