बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स के सोमवार को 75,000 से नीचे चले जाने से निवेशकों के पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक डूब गए। बाज़ार में लगातार जारी गिरावट की मार से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में भी गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद से जिस तरह से ट्रेड वार छेड़ रखा है, उसका असर भारत के बाज़ारों पर भी पड़ रहा है, जिसके चलते 2025 के दो महीनों के दौरान ही विदेशी संस्थागत निवेशक एक लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। यह भारतीय बाज़ारों के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भरोसा टूटने जैसा है। और इससे भी बुरा यह कि बीते कुछ महीनों के दौरान ही भारतीय बाज़ार का पूंजीकरण एक लाख डॉलर कम हो गया और चीन का बाज़ार पूंजीकरण दो लाख करोड़ डॉलर बढ़ गया है! वास्तव में भारतीय शेयर बाज़ार के गिरने से करोड़ों छोटे निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है, जिन्होंने बैंकों और पोस्ट ऑफिस जैसे पारंपरिक निवेश से हाथ खींचकर अपनी जमा पूंजी बाज़ार में लगा रखी है। याद रहे, पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजे आने से ऐन पहले प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह छोटे निवेशकों को शेयर बाज़ार में पैसा लगाने की सलाह दे रहे थे, जबकि नतीजे आने के बाद बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। बेशक बाज़ार के गिरने के पर्याप्त वैश्विक कारण हैं, लेकिन सरकार और बाज़ार के उसके नियामक अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते।
छोटे निवेशकों का क्या होगा

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