सैमको सिक्योरिटीज रिसर्च : बीते छह कुंभ के दौरान बीएसई सेंसेक्स ने दिया 3.42 प्रतिशत का शुद्ध घाटा
द लेंस डेस्क। धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था के आयोजन महाकुंभ-2025 के दौरान शेयर बाजार से जुड़ी एक दिलचस्प रिपोर्ट सामने आई है। सैमको सिक्योरिटीज ने 20 साल के आंकड़ों के रिसर्च में पाया है कि 6 कुंभ आयोजनों के दौरान बीएसई सेंसेक्स का रिटर्न नकारात्मक रहा है। कुंभ के दौरान सेंसेक्स में 3.42% प्रतिशत का शुद्ध घाटा दर्ज किया गया है।
सेंसेक्स में सबसे बड़ी गिरावट 2015 के कुंभ मेले के दौरान दर्ज की गई थी। जुलाई 2015 से सितंबर 2015 की अवधि के दौरान जिसमें बीएसई बेंचमार्क इंडेक्स 8.3 प्रतिशत गिरा था। दूसरी सबसे बड़ी गिरावट अप्रैल 2021 के कुंभ मेले के दौरान दर्ज की गई, जिसमें सेंसेक्स 4 प्रतिशत नीचे आया।
सैमको सिक्योरिटीज के अपूर्व शेठ ने बताया कि कुंभ मेले के बाद छह महीनों में सेंसेक्स ने 6 में से 5 अवधियों में सकारात्मक रिटर्न दिया है। कुंभ मेले के बाद छह महीने की अवधि में औसत लाभ 8 प्रतिशत रहा है। हालांकि, बीएसई बेंचमार्क इंडेक्स ने 2015 के कुंभ के बाद की अवधि में 2.5 प्रतिशत का नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया।
कब कितनी गिरावट
साल 2004 के उज्जैन कुंभ मेले (5 अप्रैल – 4 मई) के दौरान सेंसेक्स में 3.3% की गिरावट दर्ज की गई थी। 2010 के हरिद्वार कुंभ (14 जनवरी – 28 अप्रैल) में भी बाजार 1.2% कमजोर हुआ। 2013 के प्रयागराज कुंभ (14 जनवरी – 11 मार्च) के दौरान सेंसेक्स में 1.3% की गिरावट आई, जबकि 2015 के नासिक कुंभ (14 जुलाई – 28 सितंबर) में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, तब बाजार 8.3% तक लुढ़क गया था। इसी तरह 1 अप्रैल से 19 अप्रैल 2021 तक हरिद्वार में आयोजित कुंभ के 18 दिनों के दौरान सेंसेक्स में 4.2% गिरावट आई थी।
महाकुंभ-2025 के दौरान भी गिरा बाजार
जनवरी से अब तक यानी 21 फरवरी 2025 तक शेयर 50 फीसदी टूट चुका है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते बीते एक महीने में बाजार में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
कुंभ के दौरान शेयर बाजार गिरने के संभावित कारण
सैमको सिक्योरिटीज के अनुसार कुंभ मेले के दौरान और उसके बाद बाजार में देखे गए असामान्य उतार-चढ़ाव के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। कुंभ आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालु तीर्थयात्रा पर होते हैं और आध्यात्मिकता व त्याग की भावना प्रबल होती है। यह मानसिकता निवेशकों के मनोविज्ञान को प्रभावित कर सकती है, जिससे वे जोखिम लेने के बजाय सतर्क रहना ज्यादा ठीक समझते हैं।