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दुनिया

सीडब्ल्यूएस रिसर्च : कूनो में तनाव में जी रहे हैं अफ्रीकी चीते, मृत्यु दर भी 50 फीसदी

The Lens Desk
The Lens Desk
Published: February 22, 2025 7:16 PM
Last updated: March 6, 2025 3:32 PM
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द लेंस डेस्‍क। साल 2022 और 2023 में ‘प्रोजेक्‍ट चीता’ के तहत भारत लाए गए चीतों के लिए यहां की परिस्थितियां अनुकूल साबित नहीं हो रही हैं। चीतों की लगातार मौत और चुनौतियों पर अध्‍ययन करती हुई सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ स्टडीज (सीडब्ल्यूएस) ने एक रिसर्च रिपोर्ट जारी की है।

बेंगलुरु के सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ स्टडीज के डॉक्टरेट फेलो यशेंदु जोशी सहित शोधकर्ताओं की टीम की यह रिपोर्ट शोध पत्रिका ‘फ्रंटियर्स इन कंजर्वेशन साइंस में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट तस्‍दीक करती है कि मध्‍य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी चीतों को जिंदा रहने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा रहा है। 19 फरवरी 2025 को जारी रिसर्च में सीडब्ल्यूएस ने ‘प्रोजेक्‍ट चीता’ की व्‍यवहारिता पर सवाल खड़े किए हैं।

गौरतलब है कि 18 फरवरी 2023 को 12 चीते लाए गए थे। 2024 में एक भी चीता नहीं लाया गया। अब 2025 में चीतों की शिफ्टिंग को लेकर चर्चा चल रही है। प्रोजेक्ट चीता के तहत दक्षिण अफ्रीका से 8-10 साल तक हर साल 10 चीते लाने का अनुबंध है। अभी कूनो में 26 चीते हैं। इनमें 12 वयस्क और 14 शावक हैं।

सीडब्ल्यूएस ने अध्‍ययन में क्‍या पाया

  • सीडब्ल्यूएस ने अध्ययन में पाया कि पहले चरण में मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित चीतों में 40%-50% मृत्यु दर देखने को मिली जो जीवित रहने की अनुमानित दर 85 फीसदी से काफी कम है।
  • चीतों में उच्च तनाव के लक्षण देखने को मिले। लगातार तनाव के कारण चीतों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंताएं सीडब्ल्यूएस ने जाहिर की हैं।
  • प्रोजेक्‍ट चीता के तहत भारत में चीतों को बसाने के लिए दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से हर साल 10 चीते लाने की बात कही गई है। अध्ययन में तर्क दिया गया है कि इन देशों से चीतों को भारत लाना पारिस्थितिक और नैतिक रूप से ठीक नहीं है। अफ्रीकी देशों में पहले से ही चीतों की कम संख्‍या को लेकर चिंता जताई जा रही है। मौजूदा समय में वहां 6,500 वयस्क चीते ही बचे हैं।

कितना सफल है ‘प्रोजेक्ट चीता’

भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा बसाने के लिए 17 सितंबर 2022 को ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत हुई थी। नामीबिया से आठ चीते भारत लाए गए थे, फिर फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों लाए गए। अब तक कुल 20 चीते कूनो नेशनल पार्क में लाए जा चुके हैं।

हालांकि, बीते दो साल में महत्वाकांक्षी परियोजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अब तक 8 चीतों की मौत हो चुकी है, 12 जीवित हैं। इस दौरान 17 शावकों ने जन्म लिया, जिनमें से 5 की मृत्यु हो गई। वर्तमान में सभी चीते बाड़ों में रखे गए हैं। खुले जंगल में छोड़े गए एक चीते की डूबने से मौत के बाद वन विभाग अब अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है और उन्हें जंगल में छोड़ने के फैसले पर पुनर्विचार कर रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, चीतों को स्वतंत्र रूप से विचरण करने के लिए कम से कम 50 किमी का इलाका चाहिए।

TAGGED:Centre for Wildlife StudiesKuno National ParkProject CheetahResearch report
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