आज बिहार के सासाराम से चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक बच्चे को चीटिंग में शामिल ना होने की सजा मौत के रूप में मिली। बिहार एक ऐसा राज्य है जहां परीक्षा के कई मायने हैंं। ‘चीटिंग हब’ का टैग लगा चुका बिहार शिक्षा और प्रतिभा का भी केंद्र है। बिहार के सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, लेकिन सबसे पहले आज की घटना को समझतें हैं..
ये मामला है सासाराम बुढ़न मोड़ स्थित संत अन्ना स्कूल में परीक्षा का, अमित कुमार और संजीत कुमार ये दो परीक्षार्थियों को परीक्षा हॉल में एक छात्र ने नकल कराने को कहा, जब उन्होंने इससे इंकार किया, तो उस छात्र ने उन्हें धमकी दी और बाहर जाकर अपने साथियों को बुला लाया। परीक्षा समाप्त होने के बाद जब अमित और संजीत ऑटो से घर लौट रहे थे, तभी एनएच-19 पर कुछ बदमाशों ने उनका ऑटो रुकवाया और घेरकर गोली चला दी। गोली लगने वाले छात्र अमित कुमार अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जबकि बदमाशों के मारपीट से संजीत कुमार गंभीर रूप से घायल हो गया और स्थिति नाजुक बनी हुई है। अब पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

हालिया नकल प्रकरण जो चर्चा में
हाल के दिनों में बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में नकल से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। फरवरी 2025 में शुरू हुई 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में नकल की खबरें फिर से सुर्खियों में हैं। परीक्षा शुरू होने के साथ ही पेपर लीक और धांधली की शिकायतें सामने आईं। बोर्ड परीक्षा शुरू होने के बाद पटना और कुछ अन्य जिलों जैसे पूर्णिया और मुजफ्फरपुर में छात्रों ने विरोध शुरू किया। यह प्रदर्शन 15-17 फरवरी के आसपास शुरू हुआ और अभी भी जारी है।
छात्रों का कहना है कि नकल माफिया और पेपर लीक की वजह से ईमानदार छात्रों का नुकसान हो रहा है। साथ ही, सख्त नियमों जैसे देर से पहुंचने पर एंट्री न देना को लेकर भी छात्र वर्ग में नाराजगी है। राजधानी पटना में भी छात्रों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया और बीएसईबी ऑफिस के बाहर नारे लगाए। कुछ जगहों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। छात्रों का आरोप है कि उनकी आवाज़ दबाई जा रही है। छात्र मांग कर रहे हैं कि पेपर लीक की जांच, नकल माफिया पर कार्रवाई और प्रभावित परीक्षाओं को रद्द कि जाए।

बिहार के हाई-प्रोफाइल नकल मामले
2015 का टॉपर घोटाला: बिहार बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में टॉपर्स रूबी राय और सौरभ श्रेष्ठ को इंटरव्यू में बेसिक सवालों के जवाब नहीं पता थे। बाद में पता चला कि नकल और रिश्वत से रिजल्ट फिक्स किए गए थे। ये मामला देशभर में सुर्खियों में रहा था. 2015 में ही वैशाली जिले में 10वीं की परीक्षा के दौरान छात्रों को दीवार फाँदकर चिट्स पहुँचाने की तस्वीरें वायरल हुईं थीं, इस घटना ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार की शिक्षा व्यवस्था की आलोचना को जन्म दिया। इसके बाद सख्ती बढ़ाई गई, लेकिन नकल की समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई।
2023 में पेपर लीक – 12वीं का मैथ्स पेपर लीक हुआ, और 2023 में चल रही बोर्ड परीक्षाओं में भी नकल की शिकायतें आईं जिसमें आरा का जगजीवन कॉलेज मामला सुर्ख़ियों में था। इन सभी मामलों के बाद सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों में बिहार के एजुकेशन सिस्टम पर जमकर सवाल उठाये गए। आलम ये रहा की ‘बिहार चीटिंग’ और ‘बिहार बोर्ड चीट्स’ नाम का हैशटैग ट्रेंड करने लगा।
बीपीएससी पेपर लीक मामला 2024 – बिहार लोक सेवा आयोगकी प्रतियोगी परीक्षाओं में हाल के वर्षों में पेपर लीक के आरोप सामने आए, जनवरी 2024 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद नकल माफिया के फिर से सक्रिय होने की बात उठी। विपक्षी नेताओं, जैसे तेजस्वी यादव और रोहिणी आचार्य, ने दावा किया कि सत्ता के संरक्षण में नकल माफिया को बढ़ावा मिल रहा है। इन मामलों में आरोपियों को बचाने के लिए सबूतों को दबाने की कोशिशें भी चर्चा में रहीं। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि होना बाकी है।
नीट पेपर लीक स्कैंडल 2024– जून 2024 में, बिहार इकोनॉमिक ऑफेंसेज यूनिट ने खुलासा किया कि नीट परीक्षा के पेपर लीक में शामिल उम्मीदवारों ने 30 लाख रुपये तक की राशि चुकाई थी। इस मामले में 9 छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाया गया। यह हाई प्रोफाइल केस इसलिए भी था, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षा शामिल थी, और बिहार को इसका केंद्र माना गया।
सिपाही भर्ती परीक्षा धांधली (2023)- अक्टूबर 2023 में बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद दोनों पालियों की परीक्षा रद्द कर दी गई। इस मामले में 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें सॉल्वर गैंग, कोचिंग संचालक और यहाँ तक कि पुलिसकर्मी भी शामिल थे। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने जांच की, और ब्लूटूथ जैसे उपकरणों के इस्तेमाल से नकल कराने की बात सामने आई। यह मामला इसलिए बड़ा था क्योंकि इसमें 21,391 पदों के लिए 11 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल थे।

नकल के सफल होने के पीछे का कारण
संगठित माफिया: कई मामलों में नकल माफिया का जाल बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, जिसमें कोचिंग संस्थान, परीक्षा केंद्र संचालक और कभी-कभी सरकारी कर्मचारी भी शामिल होते हैं।
तकनीकी उपयोग: ब्लूटूथ, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल नकल के लिए बढ़ा है।
प्रशासनिक कमजोरी: कड़े नियमों के बावजूद, निगरानी और सजा में ढिलाई के कारण ये घटनाएँ बार-बार होती हैं।
आर्थिक प्रलोभन: मोटी रकम के बदले पेपर लीक और सॉल्वर उपलब्ध कराने का लालच इस समस्या को गंभीर बना रहा है।

बिहार का सुधरता एजुकेशन सिस्टम
बिहार का शिक्षा सिस्टम सुधार की राह पर है, लेकिन नकल और ढाँचागत कमियाँ इसे पीछे खींच रही हैं। 2025 की परीक्षाओं में नकल प्रकरण फिर से उभरा है, जिसने छात्रों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया। सरकार दावा करती है कि वह सख्ती कर रही है, लेकिन जमीन पर असर कम दिखता है। लेकिन बिहार का दूसरा पहलु ये भी है यहां के बच्चे मेहनती और जुझारू हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं में बिहार का दबदबा बना हुआ है. इस बात को नकारा नहीं जा सकता की बिहार शिक्षा और प्रतिभा का भी केंद्र है। समस्या सिस्टम में है, जैसे गरीबी, बेरोज़गारी, और निगरानी की कमी, जो नकल को बढ़ावा देती है।
स्कूली शिक्षा
स्थिति – बिहार में स्कूली शिक्षा का स्तर अभी भी राष्ट्रीय औसत से नीचे है। नीति आयोग की रिपोर्ट्स के अनुसार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में बिहार अक्सर निचले पायदान पर रहता है। शिक्षकों की कमी (लगभग 2.5 लाख पद खाली होने की बात समय-समय पर उठती है), बुनियादी ढांचे की कमी (जैसे कि फर्स्ट एड सुविधा का 93% स्कूलों में न होना), और ड्रॉपआउट दर (26% से अधिक बच्चे स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाते) जैसे कई बड़ी समस्याएं हैं।
सुधार- नीतीश कुमार सरकार ने शिक्षक भर्ती पर जोर दिया है। 2024-25 के बजट में शिक्षा विभाग को 52,639 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो कुल बजट का 18.89% है। बीपीएससी के जरिए 87,000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया मार्च 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके अलावा, ऑनलाइन निगरानी और सख्त परीक्षा नियम लागू किए गए हैं।

उच्च शिक्षा
स्थिति: बिहार में उच्च शिक्षा में सुधार की कोशिशें दिखती हैं, लेकिन गुणवत्ता और रोजगारपरकता के मामले में यह अभी भी पीछे है। पटना विश्वविद्यालय जैसे संस्थान ऐतिहासिक महत्व रखते हैं, लेकिन नए विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में संसाधनों की कमी है। बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2024 तक 4,766 करोड़ रुपये का लोन 2.58 लाख छात्रों को दिया गया, जिससे उच्च शिक्षा तक पहुंच बढ़ी है। 2025 में इसे 700 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
समस्या: कोचिंग संस्कृति का बोलबाला है, खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे नीट, बीपीएससी) के लिए। इससे विश्वविद्यालयों की औपचारिक शिक्षा पर कम ध्यान जाता है।
अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में बिहार के परीक्षार्थियों का प्रदर्शन
यूपीएससी में बिहार का प्रदर्शन: बिहार ने यूपीएससी में कई बार शानदार प्रदर्शन किया है।
2021: शुभम कुमार कटिहार, बिहार ने ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की। इस साल 761 सफल उम्मीदवारों में से कम से कम 17 बिहार से थे।
2022: इशिता किशोर (पटना मूल की) ऑल इंडिया रैंकिंग 1 रहीं, और गरिमा लोहिया (बक्सर, बिहार) ने दूसरी रैंकिंग हासिल की।
2023: पटना की जुफिशां हक ने 34वीं रैंक हासिल की, और बिहार से आधा दर्जन से ज्यादा छात्र सफल हुए।
ऐतिहासिक रूप से भी बिहार से टॉपर्स आए हैं, जैसे 1960 में जगन्नाथन मुरली और 1966 में आभास चटर्जी।
ये दावा करना की सबसे ज्यादा चयनित संख्या बिहार के छात्रों की है, ये सही नहीं होगा, क्योंकि यूपीएससी हर साल राज्य-वार आधिकारिक डेटा प्रकाशित नहीं करता, लेकिन बिहार से हर साल बड़ी संख्या में उम्मीदवार सफल होते हैं। यूपी और दिल्ली में कोचिंग हब जैसे प्रयागराज और ओल्ड राजेंद्र नगर होने की वजह से वहां से ज्यादा उम्मीदवार परीक्षा देते हैं, और चयन भी अधिक होता है लेकिन वहां देशभर से छात्र तैयारी के लिए आतें हैं।

यूपीएससी से हटकर अन्य परीक्षाओं की बात करें तो एसएससी, रेलवे और बैंकिंग परीक्षाओं में भी बिहार से बड़ी संख्या में उम्मीदवार सफल होते हैं। बिहार में बेरोज़गारी और सरकारी नौकरी की चाहत इसकी वजह है। हालाँकि, यहाँ भी UP और हरियाणा जैसे राज्य कड़ी टक्कर देते हैं। आईआईटी-जेईई में भी बिहार के छात्रों का प्रदर्शन शानदार रहा है। कोटा (राजस्थान) में कोचिंग लेने वाले बिहारी छात्रों की संख्या बहुत अधिक है, और कई टॉप रैंकर्स बिहार से होते हैं।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार के कदम
2024 में नीट पेपर लीक और बीपीएससी परीक्षा विवाद ने व्यवस्था पर सवाल उठाए जिसके बाद फरवरी 2025 में बोर्ड परीक्षाओं (10वीं और 12वीं) के दौरान सख्ती बढ़ाई गई, जिसमें भारी पुलिस बल, जूते उतारने जैसे नियम, और लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा डिजिटल निगरानी, ब्लूटूथ जैसी तकनीकों पर रोक, और सॉल्वर गैंग के खिलाफ कार्रवाई बढ़ी है। 2023 में सिपाही भर्ती परीक्षा रद्द होने के बाद 150 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं।
सरकारी प्रयास और बजट
बजट 2024-25 में शिक्षा पर खर्च में 30% की बढ़ोतरी हुई है। 2 लाख पदों पर भर्ती का लक्ष्य है, जिसमें शिक्षक और प्रधानाध्यापक शामिल हैं। इसके अलावा, इंटर और स्नातक पास लड़कियों के लिए 600 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इस बजट में ख़ास बात ये भी रही की 2025 के लिए स्कूलों में 65 दिनों की छुट्टियां घोषित की गई हैं, जिसमें छठ पूजा (10 दिन) और गर्मी की छुट्टियां (20 दिन) शामिल हैं। यह शिक्षकों और छात्रों के लिए राहत की बात है।
बिहार की आबादी लगभग 13 करोड़ हैं, यहाँ से उम्मीदवारों की भागीदारी और सफलता काफी अच्छी रही है, ये बात भी जग जाहिर है की बिहार के छात्रों की मेहनत और प्रतिभा अधिकांश राज्यों से कहीं बेहतर है। कुल मिलाकर बिहार को केवल ‘चीटिंग हब’ का नाम दे देना पूरी तरह से सही नहीं हो सकता, बिहार अब ‘टैलेंट हब’ की और अग्रसर है। नक़ल ना करना और अपनी सटीक मांगों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करना इसका प्रमाण है।