नई दिल्ली/ बिलासपुर। हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अंतरिम अग्रिम जमानत मिल गई है। छत्तीसगढ़ नान घोटाला केस में फंसे पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने उन्हें अंतरिम अग्रिम जमानत दी है। इस मामले में राज्य सरकार को जवाब प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी। हाईकोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था, जिससे उनकी गिरफ्तारी की अटकलें तेज हो गई हैं। बता दें कि गुरुवार को बलौदाबाजार हिंसा में 6 महीने से जेल में बंद विधायक देवेंद्र यादव को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। शुक्रवार को देवेंद्र रिहा हो सकते हैं।
हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ ईओडब्ल्यू/एसीबी ने नान घोटाला केस में एफआईआर दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने साल 2019 में महाधिवक्ता रहते हुए नान घोटाला में फंसे आरोपियों को बचाने के लिए षडयंत्र रचा था। इस केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। जिसे पिछले सप्ताह खारिज कर दिया गया था।
हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सतीश चंद्र वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि किसी भी केस में याचिका में जवाब दावा सीधे तौर पर महाधिवक्ता प्रस्तुत नहीं करते। नान घोटाला का यह केस साल 2015 का है, जिस पर सरकार बदलने के बाद राजनीतिक रूप से आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया है, जो गलत है।
याचिका में कहा गया था कि, महाधिवक्ता के खिलाफ असंवैधानिक रूप से केस दर्ज किया गया है। चूंकि, महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल ने की है। लिहाजा, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए धारा 17(ए) के तहत अनुमति जरूरी है, लेकिन इस केस में सरकार ने कोई अनुमति नहीं ली है। सीधे तौर पर केस दर्ज किया है।
शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा, मुकुल रोहतगी, वरूण तन्खा के साथ ही सुमेर सोढ़ी ने तर्क दिया। कोर्ट को बताया कि मामला साल 2015 का है, जिस पर साल 2019 में आरोपियों को बेल भी मिल गई है, जिसके बाद अब इस मामले में राजनीतिक दुर्भावना के चलते सीनियर एडवोकेट को फंसाया जा रहा है।
प्रारंभिक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता वर्मा को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी है। मामले में राज्य सरकार ने जवाब के लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। मामले की सुनवाई 28 फरवरी को होगी।