हाईकोर्ट के जजों की जांच का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के आदेश पर लगाई रोक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने हाईकोर्ट के वर्तमान जजों की जांच करने का अधिकार अपने पास होने का दावा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ये बहुत परेशान करने वाली बात है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय ओक की पीठ ने लोकपाल द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत सुनने पर कड़ी आपत्ति जताई। अदालत ने इस मामले को “बेहद चिंताजनक” बताया और उस न्यायाधीश का नाम सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी, जिनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और लोकपाल रजिस्ट्रार के साथ-साथ शिकायतकर्ता को भी नोटिस भेजा है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 के तहत नहीं आते। इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। फिलहाल शिकायतों पर आगे की कार्रवाई रोक दी थी।
क्या है मामला
यह विवाद तब शुरू हुआ जब 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली लोकपाल पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। लोकपाल ने यह टिप्पणी एक शिकायत की सुनवाई के दौरान की, जिसमें आरोप था कि एक निजी कंपनी से जुड़े मामले में एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने निचली अदालत के न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश की। इस पर लोकपाल ने देश के मुख्य न्यायाधीश से इस विषय पर स्पष्टता देने की मांग की थी।