नई दिल्ली। भारत के 26वें मुख्य चुनाव आयुक्त 1988 बैच के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार ने बुधवार सुबह 9.20 बजे अपना पद संभाल लिया है। राजीव कुमार मंगलवार को रिटायर हो गए हैं। ज्ञानेश कुमार के अलावा विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। वे हरियाणा के मुख्य सचिव और 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वहीं, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू अपने पद पर बने रहेंगे।
17 फरवरी को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सीईसी के लिए ज्ञानेश कुमार के नाम को फाइनल किया था। तब कमेटी में से एक सदस्य नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बैठक के बाद डिसेंट (असहमति) नोट लिख कर कमेटी की इस बैठक पर सवाल खड़े किया था।
पदभार संभालने के बाद ज्ञानेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रसेवा के लिए पहला कदम है मतदान। भारत का हर नागरिक, जो 18 साल की आयु पूरी कर चुका हो, को मतदान जरूर करना चाहिए। भारत के संविधान, लोकप्रतिनिधित्व कानूनों और उनके नियमों के अनुरूप चुनाव आयोग हमेशा मतदाताओं के साथ हमेशा था, है और रहेगा। ज्ञानेश कुमार नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले सीईसी हैं। ज्ञानेश का कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा। ज्ञानेश के 4 साल के कार्यकाल में 20 राज्य और 1 एक केंद्रशासित प्रदेश (पुडुचेरी) में चुनाव होंगे। ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में तमिलनाडु, बिहार, पश्चिचम बंगाल, असम सहित 20 राज्यों और 1 एक केंद्रशासित प्रदेश (पुडुचेरी) में चुनाव होंगे। बिहार में सबसे पहले विधानसभा चुनाव होंगे। अंतिम चुनाव मिजोरम में होगा।
राहुल ने लिखा था – आधी रात सीईसी की नियुक्ति का फैसला असम्मानजनक
सीईसी की नियुक्ति होने के बाद राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में पीएम मोदी को दिए डिसेंट नोट की कॉफी थी। इसमें लिखा था – मूलभूत बात यह है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में कार्यपालिका का कोई दखल नहीं होता। लोकसभा में विपक्ष का नेता होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि बाबा साहेब अंबेडकर और देश का निर्माण करने वाले नेताओं के आदर्श कायम रहें। आधी रात में पीएम और गृह मंत्री का सीईसी की नियुक्ति का फैसला असम्मानजनक है। सीईसी की नियुक्ति का फैसला तब लिया गया, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इस पर 48 घंटे के अंदर सुनवाई होनी है।