उपराष्ट्रपति के सचिव ने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर जानकारी दी है, बजट सत्र समाप्त होने के बाद विशेष सत्र के आयोजन की तैयारी
कोलकाता। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाषण देने की इच्छा जाहिर की है। उपराष्ट्रपति के सचिव सुनील गुप्ता ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी से मुलाकात की और उन्हें इस विशेष संबोधन के बारे में जानकारी दी। उपराष्ट्रपति के लिए विशेष सत्र का आयोजन कब होगा, यह फैसला बजट सत्र के पहले और दूसरे चरण के पूरा होने के बाद लिया जा सकता है। बजट सत्र का पहला चरण सोमवार से शुरू हुआ, जो 19 फरवरी तक चलेगा, जबकि दूसरा चरण 10 से 20 मार्च के बीच होगा।
विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने मंगलवार को अपने कक्ष में पत्रकारों को उपराष्ट्रपति धनखड़ के अनुरोध की जानकारी दी। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में उपराष्ट्रपति के इस अनुरोध को लेकर हैरानी जताई जा रही है। गौरतलब है कि धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं। चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति हैं, उन्हें विधानसभा में बोलने की अनुमति देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए अध्यक्ष बनर्जी ने धनखड़ को अभिभाषण देने के लिए बजट सत्र के बाद एक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है। इस मामले में जानकारों का यह कहना है कि उपराष्ट्रपति की तरफ से इस तरह का अनुरोध किया जाना संसदीय परंपराओं के अनुकूल नहीं है। अच्छा तो यह होता कि विधानसभा की तरफ से उन्हें आमंत्रित किया जाता, तो यह स्थिति अधिक गरिमामय में होती।
धनखड़ के संबोधन को लेकर हैरानी क्यों?
उपराष्ट्रपति धनखड़ राज्यसभा के सभापति हैं और अपने संवैधानिक दायित्वों का जिम्मेदारी से निर्वहन करते आए हैं। इसके अलावा कई बार अन्य मंचों पर उनके भाषणों और बयानों का राजनीतिक विश्लेषण भी किया जाता रहा है। हालांकि, इस बार धनखड़ के भाषण की विषय-वस्तु को लेकर जानकारी सामने आई है कि वह बंगाल के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करना चाहते थे और उन्होंने राज्य सरकार की आलोचना न करने का वादा किया। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “वह एक उत्कृष्ट राजनेता हैं, और बंगाल के लोग उनके प्रति कृतज्ञ हैं। 2021 के चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान उन्होंने जो भूमिका निभाई, उसे हम कभी नहीं भूल सकते।” शुभेंदु अधिकारी ने आगे कहा, “हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे राज्य सरकार द्वारा तैयार किया गया भाषण न पढ़ें, बल्कि अपने शब्दों में बात करें। आधिकारिक घोषणा होने के बाद, मैं उन्हें पत्र लिखकर इस संबंध में अनुरोध करूंगा।”
जगजाहिर है ममता बनर्जी और धनखड़ के बीच विवाद
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वर्तमान में उपराष्ट्रपति धनखड़ के बीच पुराने समय में अक्सर टकराव की स्थिति रही है। राज्यपाल के रूप में धनखड़ का कार्यकाल (2019-2022) विवादों से घिरा रहा और राजभवन-नबन्ना संबंधों में तनाव देखा गया।
- धनखड़ ने एक बार कहा था कि उनका और ममता बनर्जी का रिश्ता भाई-बहन की तरह मजबूत है। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टकराव की स्थिति उन्हें व्यथित करती है और वह सरकार के सहयोग की इच्छा रखते हैं।
- एक टेलीविजन कार्यक्रम में जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने दावा किया कि राज्य “ज्वालामुखी” पर बैठा हुआ है और गंभीर संकट से गुजर रहा है।
- एक बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जगदीप धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था। ममता का कहना था कि वह गवर्नर के ट्वीट्स से परेशान हो गई थीं, इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया। इस दौरान उन्होंने धनखड़ पर गंभीर आरोप भी लगाए, जिन्हें धनखड़ ने खारिज कर दिया था।
- लगातार बढ़ते टकराव के बीच धनखड़ ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर बातचीत का प्रस्ताव दिया और उन्हें राजभवन आने का निमंत्रण दिया। इसे आपसी संबंध सुधारने की पहल माना गया था और दोनों को चर्चा करते हुए भी देखा गया था।
- धनखड़ ने ममता बनर्जी का एक वीडियो साझा किया, जिसमें ममता सार्वजनिक रूप से एक पुलिस अधिकारी से पूछ रही थीं कि क्या राज्यपाल ने उनसे संपर्क किया और उनके काम में हस्तक्षेप किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए धनखड़ ने ट्वीट किया कि यह स्थिति चिंताजनक है, जहां मुख्यमंत्री मीडिया के सामने एक एसपी से इस तरह के सवाल कर रही हैं।
पहले भी हो चुका है विधानसभा में उपराष्ट्रपति का संबोधन
विधानसभा में उपराष्ट्रपति का संबोधन नई बात नहीं है। सितंबर 2013 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने केरल विधानसभा की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित विशेष सत्र को संबोधित किया। वहीं अक्टूबर 2021 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र में भाषण दिया। इसके अलावा उन्होंने मार्च 2022 में बजट सत्र के अंतिम दिन मिजोरम विधानसभा के विधायकों को भी संबोधित किया।