2023 में 93 थी भारत की रैंकिंग, फिनलैंड दूसरे और सिंगापुर तीसरे नंबर पर, जबकि साउथ सूडान (180) सबसे भ्रष्ट देश
नई दिल्ली। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी 180 देशों की करप्शन रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में गिरावट आई है। भारत 38 स्कोर के साथ अब 96वें नंबर पर पहुंच गया है। 2023 में भारत 39 स्कोर के साथ 93वें नंबर पर था। सिर्फ एक नंबर के कम होने से भारत 3 पायदान नीचे खिसक गया है। साल 2022 में भारत 40 स्कोर के साथ 85वें नंबर पर था। रैंकिंग में डेनमार्क पहले नंबर पर बना हुआ है। फिनलैंड दूसरे और सिंगापुर तीसरे नंबर पर है। जबकि साउथ सूडान (180) सबसे भ्रष्ट देश है।
भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो कुछ अपने स्थान पर बरकरार हैं तो कुछ की रैंकिंग भारत की तरह ही नीचे गिरी है। रिपोर्ट के अनुसार चीन 76वें नंबर पर बरकरार है। उसकी रैंकिंग में 2 साल से बदलाव नहीं आया है। वहीं, पाकिस्तान 133 से 135वें नंबर पर आ गया है। श्रीलंका 121वें और बांग्लादेश 151वें नंबर पर है। इसके अलावा भूटान 18वें स्थान पर है। भूटान की रैंकिंग सुधरी है। 2023 में भूटान की रैंकिंग 22 थी। वहीं, नेपाल 110वें स्थान पर है। चीन के अलावा विश्व के लीडर्स देशों की बात करें तो अमेरिका 28, ब्रिटेन 20, फ्रांस 25, जर्मनी 15 और रूस 154 रैंकिंग में है।
इस इंडेक्स के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के विशेषज्ञ देश के पब्लिक सेक्टर में भ्रष्टाचार का आकंलन करते हैं। इसके बाद हर देश को 0 से 100 के बीच स्कोर दिया जाता है। किसी देश की जनता में भ्रष्टाचार को लेकर क्या धारणा है, इस बात पर रैंकिंग दी जाती है। इसी आधार पर इंडेक्स में रैंकिंग निर्धारित होती है। अगर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल में शामिल विश्व के सभी 180 देशों की बात करें तो वैश्विक औसत अब भी 43 ही है, जो सालों से बना हुआ है। जबकि दो-तिहाई से अधिक देशों ने 50 से नीचे स्कोर किया है।
2015 के बाद स्थिति में आई गिरावट
2005 से लेकर 2013 तक यूपीए की सरकार और मौजूदा एनडीए सरकार की तुलना की जाए तो स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। 2006-07 में भ्रष्टाचार के मामले में रैंकिंग सुधरी थी। उस दौरान भारत 70वें और 72वें स्थान पर था। यूपीए शासन के अंतिम समय में यानी 2013 में भारत 94वें स्थान पर लुढ़क गया। वहीं एनडीए के कार्यकाल में सबसे अच्छी स्थिति 2015 में रही, तब भारत वर्ल्ड रैंकिंग में 76वें स्थान पर पहुंचा था। 2015 के बाद से स्थिति में काफी गिरावट आई है। भारत समेत एशिया के 71 देशों का स्कोर यहां के औसत स्कोर (45) से नीचे है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन देशों के नेताओं ने भ्रष्टाचार के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया है। साथ ही इन देशों में स्वतंत्र प्रेस पर भी हमले हुए हैं। इससे भ्रष्टाचार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।