2024 में 31 कंपनियों पर कसा गया था शिकंजा
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार रात आधी सदी पुराने अमेरिका के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट 1977 को निरस्त कर दिया है। ट्रंप ने सोमवार रात को एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करते हुए इस कानून को अमेरिकी कंपनियों को कमजोर करने वाला बताया। इस कानून के रद्द करने से अमेरिकी कारोबारियों को राहत मिलेगी। इस कानून के तहत 2024 में 26 केस दर्ज किए गए थे, जिनमें 31 कंपनियों पर शिकंजा कसा गया था। हालांकि अदाणी को इसका फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि अदाणी के खिलाफ एसईसी के तहत जांच हो रही है।
डोनाल्ड ट्रंप ने रिपोर्टर्स के सामने ही इस कानून को निरस्त करने वाले आदेश पर साइन किए। ट्रंप ने अपने आदेश में कहा कि विदेश में व्यापार करने के लिए विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने का मुकदमा कारोबारियों पर न चलाया जाए। इस कानून से दुनिया भर में हमारा मजाक बनाया जा रहा था। यह कानून अमेरिकी कंपनियों के विस्तार को रोकता है और उन्हें कमजोर कर देता है। व्यापारिक कॉम्प्टीशन के इस दौर में इस तरह के कानून का कोई काम नहीं है। ट्रंप ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल को आदेश देते हुए कहा कि नए नियमों के तहत अब इस तरह के मामलों में नजर रखी जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति अपने पिछले कार्यकाल में ही इस कानून को रद्द कर देना चाहते थे, लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके थे। इस बार उन्होंने अपने 100 दिन के काम में ही इसे शामिल किया, जिसे शपथ लेने के 22वें दिन ही पूरा कर दिया।
अडाणी को नहीं मिलेगी राहत
ट्रंप के इस फैसले के बाद भारत में यह दावा किया जा रहा था कि अदाणी के खिलाफ हो रही जांच भी बंद हो जाएगी, लेकिन जानकारों की मानें तो फाॅरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (एफसीपीए) स्थगित हुआ है, रद्द नहीं। इस कानून का अदाणी के मामले से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि यह कानून सिर्फ अमेरिकी नागरिकों पर ही लागू होता है। अदाणी और उसके सहयोगी अमेरिका के नागरिक नहीं हैं। उन पर जो मुकदमा दर्ज है वो सिक्युरिटी एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने किया है और वह जारी रहेगा। मुकदमा चलाने की इजाज़त अमेरिका के न्याय विभाग ने दी है। इस वजह से अदाणी को इसका फायदा नहीं मिलेगा।
…इसलिए अदाणी के खिलाफ चल रही है जांच
पिछले साल गौतम अडाणी सहित 8 लोगों पर अरबों रुपए के फ्रॉड के आरोप लगाए गए थे। आरोप था कि अडाणी की कंपनी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट अवैध तरीके से हासिल कर लिए थे। इसके लिए सरकारी अधिकारी को बड़ी रिश्वत दी गई थी। इसको लेकर न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोप पत्र में कहा गया कि अडाणी सोलर एनर्जी का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए अधिकारियों को 2110 करोड़ की रिश्वत दी थी।