लेंस डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे भारतीय चावल और कनाडाई उर्वरकों सहित कुछ कृषि आयातों पर अतिरिक्त शुल्क लगा सकते हैं। यह बयान व्हाइट हाउस में किसानों और कृषि सचिव ब्रूक रॉलिंस के साथ एक बैठक के दौरान आया, जहां ट्रंप ने अमेरिकी किसानों के लिए 12 अरब डॉलर की सहायता पैकेज की भी घोषणा की।
किसानों ने शिकायत की कि सस्ते विदेशी आयात से उनके उत्पादों की कीमतें गिर रही हैं और बाजार में प्रतिस्पर्धा मुश्किल हो गई है। विशेष रूप से भारत और थाईलैंड जैसे देशों पर सस्ता चावल निर्यात करने का आरोप लगाया गया।
ट्रंप ने कहा कि भारत अमेरिकी बाजार में चावल “डंप” नहीं कर सकता और उन्होंने ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट से पूछा कि भारत को ऐसा करने की इजाजत क्यों दी जा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे मामलों में टैरिफ लगाकर समस्या जल्दी सुलझाई जा सकती है।
इसी तरह कनाडा से आने वाले उर्वरकों पर भी कड़े शुल्क की बात कही, ताकि अमेरिका में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिले। इससे भारत और कनाडा के साथ चल रही व्यापार वार्ताएं लंबी खिंच सकती हैं। इस साल की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल खरीद और व्यापार असंतुलन के कारण भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था।
वैश्विक चावल बाजार की स्थिति
2025 में अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें करीब 27 प्रतिशत तक गिर चुकी हैं। वैश्विक व्यापार का अनुमान 60 मिलियन टन के आसपास है, जबकि स्टॉक रिकॉर्ड 187 मिलियन टन पर पहुंच गया है। चावल दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा अनाज है, जिसकी खेती 100 से अधिक देश करते हैं। सिर्फ 15 देश मिलकर वैश्विक उत्पादन का 90 प्रतिशत हिस्सा देते हैं और अमेरिका पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है।
चालव उत्पादन में भारत का हिस्सा सबसे ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर 28 प्रतिशत है। चीन का 27 प्रतिशत, बांग्लादेश का 7 प्रतिशत, इंडोनेशिया का 6 प्रतिशत, वियतनाम का 5 प्रतिशत और अमेरिका का सिर्फ 2 प्रतिशत है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट में इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ. प्रेम गर्ग का कहना है कि ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने के बावजूद भारत का चावल निर्यात कम नहीं हुआ है। अमेरिकी राइस फ्यूचर्स में दबाव मुख्य रूप से नॉन-बासमती चावल पर है। भारत ने पहले नॉन-बासमती निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जिससे अमेरिका में इसकी कीमतें चरम पर पहुंच गई थीं। प्रतिबंध हटने के बाद नॉन-बासमती कीमतों में 3-4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
गर्ग के अनुसार, अगर ट्रंप चावल पर अतिरिक्त टैरिफ लगाते हैं तो भी भारतीय निर्यात पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वैश्विक बाजार में भारतीय बासमती की मांग बहुत मजबूत है। अमेरिका में भारत डंपिंग नहीं कर रहा, बल्कि अमेरिकी आयातक पहले से ही ऑर्डर दे चुके हैं। भारत सालाना 6 मिलियन टन से ज्यादा बासमती निर्यात करता है और अमेरिका इसका छोटा बाजार है। टैरिफ बढ़ने से बासमती निर्यात प्रभावित नहीं होगा।

