रायपुर | छत्तीसगढ़ में 19 नवंबर को जमीन रजिस्ट्री गाइडलाइन (CG Land Guideline Rate) दरों में की गई भारी बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध सड़क पर आ गया था। सरकार के भीतर भी जबरदस्त विरोध हो रहा था और अब भारी विरोध के कारण सरकार ने कई आदेश को वापस लिया है और कई आदेशों में संशोधन किया है। अचानक लिए फैसले से भाजपा के सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी खुलकर सामने आए थे, वहीं आम जनता, रियल एस्टेट कारोबारी और कई संगठनों ने भी प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। आखिरकार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार को पुराने फैसलों में 20 दिनों के अंदर संशोधन करना पड़ा है हालांकि अभी भी कई फैसले जस के तस है लेकिन जानकारों का कहना है कि इस फैसले से बिल्डर वर्ग को खुश करने की कोशिशें की गई हैं जबकि आम जनता की दिक्कतें दूर नहीं हुई है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर रजिस्ट्रेशन महानिरीक्षक ने आज कई महत्वपूर्ण संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू करते हुए पूरे राज्य में दरों के पुनरीक्षण के लिए 31 दिसंबर 2025 तक प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।
तत्काल प्रभाव से लागू हुए प्रमुख बदलाव
सरकार ने गाइडलाइन दरों में तत्काल प्रभाव से कई राहत भरे बदलाव लागू कर दिए हैं। अब छोटे प्लॉटों (1,400 वर्ग मीटर तक) की क्रमिक गणना पूरी तरह खत्म कर दी गई है और पुरानी स्लैब दरें फिर से लागू कर दी गई हैं, यानी नगर निगम क्षेत्र में 50 डिसमिल तक, नगर पालिका में 37.5 डिसमिल तक तथा नगर पंचायत क्षेत्र में 25 डिसमिल तक के प्लॉट पर एक ही दर लागू होगी।
मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग में फ्लैट, दुकान या ऑफिस की रजिस्ट्री अब सुपर बिल्ट-अप एरिया के बजाय केवल बिल्ट-अप एरिया के आधार पर होगी। साथ ही मंजिल के अनुसार नई छूट दी गई है, बेसमेंट एवं पहली मंजिल पर 10 प्रतिशत तथा दूसरी मंजिल एवं उससे ऊपर की सभी मंजिलों पर 20 प्रतिशत की छूट मिलेगी। कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के लिए मुख्य सड़क से दूरी पर भी बड़ी राहत दी गई है; यदि कॉम्प्लेक्स का बना हुआ हिस्सा मुख्य सड़क से 20 मीटर से अधिक दूर है तो प्लॉट की गाइडलाइन दर में 25 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट लागू होगी। ये सभी बदलाव आज से ही पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गए हैं।
‘सरकार ने जनता को थमाया लॉलीपॉप और VVIP वर्ग को किया खुश’

रियल एस्टेट ब्रोकर्स एसोसिएशन एंड फाउंडेशन
इस मामले पर द लेंस ने रियल एस्टेट ब्रोकर्स एसोसिएशन एंड फाउंडेशन के अध्यक्ष महेश आर्य से बात की उनका कहना था अभी जो फैसला हुआ है वह 2, 4 निर्णय भर लिए हैं बाकी पूरे छत्तीसगढ़ के सभी जगह की जो गाइडलाइन पंजीयन वृद्धि दर हुआ है उस पर अभी कोई वापसी नहीं हुआ है उन्होंने ये भी कहा की ये गाइडलाइन किसी मरणासन्न व्यक्ति को आईसीयू में लाने भर जैसा है। ये छूट भी VVIP वर्ग के लिए है उच्च वर्ग को भी इससे राहत नहीं है। इसके अलावा दावा आपत्ति भी सभी फैसलों पर नहीं मंगाया गया है केवल उन फैसलों पर लिया गया है जिनसे बिल्डरों को लाभ हो , ये फैसला केवल बड़े व्यापारी वर्ग को लाभ देने के लिए किया गया है आम जनता के लिए नहीं क्योंकि आम जनता मल्टी स्टोरी बिल्डिंग नहीं बनाती ना ही 15 हजार वर्ग किमी की जमीनें खरीदतीं है, महेश आर्य ने ये भी सवाल उठाया की ‘अगर बदलाव करना ही था या छूट देना ही था तो सभी आदेशों को वापिस लेना था ये फैसला जनता को केवल लॉलीपॉप पकड़ाने जैसा है।’
आसान भाषा में इसे अन्य शहरों से तुलना के साथ ऐसे समझिये कि बीते कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश के बड़े शहरों भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर में भी रजिस्ट्री दरें सिर्फ 10-20% ही बढ़ीं। वहीं मुंबई, पुणे, नासिक जैसे महानगरों में तो सिर्फ 4% की बढ़ोतरी हुई है लेकिन छत्तीसगढ़ के अभनपुर तहसील के गाँव बेंद्री-निमोरा और गोबरा-नवापारा के गाँवों में रजिस्ट्री दरें 500% से लेकर 700-900% तक बढ़ा दी गईं। शायद सरकार की नज़रों में यहां विकास अचानक इतना जबरदस्त विकास हो गया कि लोग तंज कसते हुए पूछ रहे हैं कि नक्सल प्रभावित प्रदेश में जहां आज भी सड़क-बिजली-पानी तक ठीक नहीं है, वहाँ अचानक मुंबई-पुणे से भी ज्यादा विकास कैसे हो गया? क्या एक-दो जगहों के उदाहरण से पूरे प्रदेश की दरें तय की जा सकती हैं?
31 दिसंबर तक मांगे गए संशोधन प्रस्ताव
आज निकले आदेश के अनुसार रजिस्ट्रेशन महानिरीक्षक ने सभी जिला मूल्यांकन समितियों को निर्देश दिए हैं कि 19 नवंबर के बाद प्राप्त सभी आपत्तियां, ज्ञापन और सुझावों की गहन समीक्षा कर संशोधित प्रस्ताव 31 दिसंबर 2025 तक अनिवार्य रूप से भेजें। इसके बाद केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड अंतिम दरें जारी करेगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि यदि नई दरें वापस नहीं ली गईं तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था और रियल एस्टेट सेक्टर पर गहरा नकारात्मक असर पड़ेगा। इसके बाद ही सरकार ने कार्रवाई की।

