मध्य प्रदेश। एक शिक्षक की मौत ने ऐसा घोटाला खोल दिया कि शिक्षा विभाग के होश उड़ गए। निमाड़ के नैगुवां गांव में स्थित शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल पिछले पूरे 20 साल से प्राइवेट होने के बावजूद खुद को सरकारी स्कूल बता रहा था। इस दौरान शिक्षकों को सरकारी वेतन, प्रमोशन और सारी सुविधाएं मिलती रहीं। अब जांच में सामने आया है कि स्कूल कभी सरकारी ( FAKE GOVERNMENT SCHOOL) हुआ ही नहीं था। विभाग ने स्कूल संचालक से करीब 15 करोड़ रुपये की रिकवरी का आदेश जारी कर दिया है।
शिक्षक की मौत से खुला पूरा राज
दरअसल स्कूल के एक शिक्षक का निधन हो गया। परिजनों ने नियम के मुताबिक कंपैशनेट अपॉइंटमेंट (मृतक आश्रित को नौकरी) के लिए आवेदन किया। विभाग ने जब दस्तावेज मांगे तो हकीकत सामने आई कि स्कूल का नाम सरकारी लिस्ट में कहीं नहीं था। शिक्षकों की नियुक्ति प्राइवेट मैनेजमेंट ने की थी, वेतन और प्रमोशन के सारे ऑर्डर फर्जी दस्तावेजों पर जारी हुए थे। यानी दो दशक से सरकारी खजाने से पैसा निकाला जा रहा था लेकिन कागजों में सब लीगल दिखाया जाता रहा।
20 साल में उड़े 15 करोड़, अब वसूली शुरू
शिक्षा विभाग की प्रारंभिक जांच में अनुमान लगाया गया है कि 20 साल में स्कूल ने करीब 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की सरकारी राशि हड़प ली। इसमें शिक्षकों का वेतन, पेंशन लाभ, प्रमोशन का एरियर और दूसरे अनुदान शामिल हैं। विभाग ने स्कूल संचालक को नोटिस थमा दिया है और पूरी राशि जल्द जमा करने को कहा है। साथ ही जिम्मेदार लोगों पर आपराधिक मामला भी दर्ज करने की तैयारी चल रही है।
20 साल तक पकड़े क्यों नहीं गए?
सवाल ये है कि इतना बड़ा फर्जीवाड़ा इतने साल कैसे चलता रहा? जवाब आसान है – कभी इसका ऑडिट ही नहीं हुआ। हर साल सिर्फ कागजी रिपोर्ट के आधार पर मान लिया जाता था और स्थानीय अधिकारियों की निगरानी भी ढीली रही। अब प्रशासन यह भी जांच कर रहा है कि कहीं कोई अधिकारी इसमें शामिल तो नहीं था। अगर संलिप्तता मिली तो बड़ी कार्रवाई होगी।
शिक्षकों और बच्चों का भविष्य खतरे में
इस खुलासे से सबसे बड़ा नुकसान स्कूल के मौजूदा शिक्षकों और बच्चों को होने वाला है। जिन शिक्षकों को लगता था कि वे सरकारी नौकरी कर रहे हैं, अब उनकी नौकरी और पेंशन खतरे में है। मृतक शिक्षक के परिवार को तो कंपैशनेट नौकरी का सपना भी टूट गया। जबकि गांववालों का कहना है कि पढ़ाई तो हो रही थी, लेकिन अब स्कूल बंद न हो जाए, यही डर सता रहा है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी, लेकिन स्कूल संचालक पर सख्ती जारी रहेगी।

