नई दिल्ली। केंद्रीय विधि आयोग के सदस्य और भाजपा के प्रवक्ता रह चुके अधिवक्ता हितेश जैन ने दो सप्ताह पहले विधि आयोग के पूर्णकालिक सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया केंद्रीय विधि मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
रोचक यह है कि हितेश जैन को इसी वर्ष 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता में 23वें विधि आयोग के पूर्णकालिक सदस्यों में से एक नियुक्त किया गया था। विधि आयोग का गठन पिछले वर्ष तीन सितंबर को तीन वर्ष की अवधि के लिए किया गया था। पीएमओ में चर्चित अधिकारी हीरेन जोशी को हितेश जैन का बेहद नजदीकी बताया जाता है। अब हीरेन और हितेश कहाँ है यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
क्या कहा था पवन खेड़ा ने
कल कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह कहकर राजनैतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया कि हिरेन जोशी के साथी को लॉ कमीशन से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार को हिरेन जोशी के पूरे मामले को देश के सामने रखना चाहिए। पवन खेड़ा ने हिरेन जोशी का नाम लेकर कहा कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय में सबसे ताकतवर और सबसे मजबूत व्यक्ति हैं।
उन्होंने कहा, ‘हिरेन जोशी कोई छोटा नाम नहीं है। प्रधानमंत्री कार्यालय में सबसे ताकतवर व्यक्ति, जिसने इस देश के लोकतंत्र की हत्या में महत्वपूर्ण काम किया और अब चर्चा में भी हैं। उनके साथ एक हैं, जो लॉ कमीशन में एक साल पहले ही आए थे। उनको आनन-फानन में बाहर कर दिया गया। सरकारी घर भी खाली करा दिया। क्या हो रहा है? देश को जानने का हक है।’ दिल्ली में इस बात की चर्चा जोरों पर हैं कि हीरेन जोशी अब पीएमओ से बाहर हैं।
रिटायर्ड जजों पर किया था शाब्दिक हमला
जैसा कि स्पष्ट है कि पवन खेड़ा, पीएमओ के हितेश जैन का ही नाम ले रहे थे चर्चा है कि हितेश जैन को लॉ कमीशन में लाने का श्रेय हीरेन जोशी को जाता है। लेकिन अब तक उन कारणों का खुलासा नहीं हो सका है कि हितेश जैन को इस्तीफा क्यों देना पड़ा? और उनसे तत्काल सरकारी आवास क्यों खाली कराया गया?
यह वही हितेश जैन हैं जिन्होंने कुछ वक्त पहले रिटायर जजों की आलोचना में कहा था कि रिटायर जज अब राजनीतिक कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने जस्टिस अभय ओका के कुछ हालिया इंटरव्यू का जिक्र करते हुए कहा है कि अब ज्यादा से ज्यादा रिटायर जज, खुले आम राजनीतिक कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
हितेश जैन ने जस्टिस मदन लोकुर से लेकर जस्टिस एस मुरलीधर, जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस अभय ओका का जिक्र करते हुए कहा था कि न्यायपालिका की आजादी पर एक सैद्धांतिक रुख के बजाय भेदभाव वाला रवैया अख्तियार कर रहे हैं।
जस्टिस लोया की मौत के बाद रहे चर्चित
हितेश जैन का नाम एक बार पहले भी चर्चा में आया था जब जस्टिस लोया की रहस्यमयी मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई के बीच जस्टिस लोया के बेटे अनुज लोया ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। उस वक्त न्यायमूर्ति लोया की मौत के मामले की सुनवाई सोमवार, 15 जनवरी 2018 को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ द्वारा की जानी थी।
सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने इस महत्वपूर्ण मामले को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को सौंपे जाने का विरोध किया था, जिन्हें भाजपा का बहुत करीबी माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस लोया मामले की सुनवाई सोमवार तक टाले जाने के तुरंत बाद, शुक्रवार, 12 जनवरी को भाजपा द्वारा यह निर्णय लिया गया कि जस्टिस अरुण मिश्रा के मामले को मज़बूत बनाने के लिए, यह स्पष्ट संकेत देना ज़रूरी है कि यह एक राजनीति से प्रेरित मामला है ताकि जस्टिस मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई कर सकें और बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई पर भारी पड़ें।
बेटे ने पिता की हत्या को साज़िश मानने से किया था इनकार* जज लोया के बेटे अनुज ने टीवी कैमरों के सामने सार्वजनिक रूप से पेश होकर अपने पिता की मौत पर किसी किस्म का संदेह करने से इनकार किया था ।
बताया जाता है कि उस वक्त हितेश जैन जो भाजपा प्रवक्ता भी थे उनसे पार्टी के बड़े नेताओं ने संपर्क किया, जो भाजपा प्रवक्ता भी थे और पार्टी मामलों में पीएमओ में गोयल और हीरेन जोशी के साथ मिलकर काम करते थे। हितेश जैन ने अपने वकील दोस्त अमित नाइक से संपर्क किया और उन्हें इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए राज़ी किया। गौरतलब है कि अनुज की प्रेस कांफ्रेंस में अमित नाइक उनके साथ मौजूद थे।

