द लेंस। RBI Repo Rate: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयरएज की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत तक घटा सकता है। अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर महज 0.3 प्रतिशत पर ठहर गई, जो पिछले एक दशक का सबसे निचला स्तर है।
हालांकि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश दिख रही है, रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई विकास दर की मजबूती को देखते हुए सतर्क रुख अपनाए रख सकता है। 5 दिसंबर को सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा नीतिगत फैसले की घोषणा करेंगे।
रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.5 प्रतिशत रखा गया है। अब 3 से 5 दिसंबर तक चलने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक पर निवेशकों की निगाहें टिकी हैं।
मंगलवार को जारी केयरएज की रिपोर्ट में इस आशंका को प्रमुखता से रेखांकित किया गया है। फिलहाल रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर स्थिर है, और कटौती के बाद यह 5.25 प्रतिशत तक लुढ़क सकता है।
दूसरी ओर, बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट का अनुमान है कि आरबीआई अगली बैठक में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रख सकता है। इसमें केंद्रीय बैंक के रुख को तटस्थ बनाए रखने की भविष्यवाणी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार देश की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है। वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जो बाजार के पूर्वानुमानों से कहीं बेहतर रही।
कीमतों में नरमी से महंगाई पर लगाम
मुद्रास्फीति के संदर्भ में रिपोर्ट में साफ किया गया है कि मूल्यों पर दबाव काफी हल्का पड़ गया है। खासकर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार कमी के चलते अक्टूबर 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर 0.25 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर सिमट गई। आने वाले समय में यह और नीचे जा सकती है, जो आरबीआई के अपने लक्ष्यों से भी कम होगी।
रिपोर्ट में खाद्य महंगाई में सुधार का श्रेय अच्छी मानसून, समयबद्ध आपूर्ति प्रबंधन और बेहतर फसल उत्पादन को दिया गया है। हालांकि, कोर मुद्रास्फीति अभी भी 4 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है, लेकिन इसका कारण मजबूत मांग नहीं, बल्कि सोने जैसी वस्तुओं की ऊंची कीमतें हैं। कम जीएसटी दरों के फायदे से इस प्रभाव को कुछ हद तक संतुलित किया गया है।

