नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार 2 दिसंबर को ब्रिटिश काल की याद दिलाने वाले नामों को बदलने का एक और बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम अब आधिकारिक रूप से ‘सेवा तीर्थ’ (Prime Minister’s Office to be called ‘Seva Teerth) कर दिया गया है। इसी क्रम में केंद्रीय सचिवालय को ‘कर्तव्य भवन’ नाम दिया गया है। सरकार का कहना है कि ये बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति और भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं।
सभी राजभवनों का नाम अब ‘लोकभवन’
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि ‘राजभवन’ शब्द को हटाकर ‘लोकभवन’ और गवर्नर के निवास को ‘लोक निवास’ किया जाए। मंत्रालय ने पिछले साल राष्ट्रपति भवन में हुई राज्यपालों की कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए कहा कि ‘राजभवन’ नाम ब्रिटिश दौर की गुलामी की याद दिलाता है। निर्देश जारी होने के बाद तेजी से काम शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात, त्रिपुरा और अब राजस्थान ने अपने राजभवन का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ कर दिया है। वहीं केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में ‘राज निवास’ को ‘लोक निवास’ नाम दे दिया गया है। बाकी राज्य भी जल्द ही इस बदलाव को पूरा कर लेंगे।
औपनिवेशिक निशानियों को मिटाने का सिलसिला जारी
मोदी सरकार पिछले कई सालों से ब्रिटिश काल के नाम और प्रतीकों हटाने में जुटी है। पहले राजपथ को कर्तव्य पथ, लोक कल्याण मार्ग (पहले रेस कोर्स रोड) और अब सेवा तीर्थ जैसे नाम दिए जा चुके हैं। सरकारी वेबसाइटें अब पहले हिंदी में खुलती हैं हालांकि अंग्रेजी का ऑप्शन भी दिया जाता है। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में बैंड अब ‘एबाइड विद मी’ जैसे इंग्लिश गाने नहीं बजाए जाते हैं। सरकार का मानना है कि ये छोटे-छोटे कदम मिलकर देश को उसकी सांस्कृतिक पहचान वापस दिला रहे हैं।

