[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
छत्तीसगढ़ में गाइडलाइन दरों पर बवाल के बीच CM साय का बड़ा बयान- जरूरत पड़ी तो संशोधन करेंगे
इंडिगो ने कहा ‘अब तक 610 करोड़ रिफंड 3000+ बैग लौटाए’ पर आज भी 650 फ्लाइट्स कैंसिल, सरकार ने अब तक नहीं की है कंपनी पर कोई कार्रवाई
विक्रम भट्ट गिरफ्तार, 30 करोड़ की बायोपिक धोखाधड़ी में साली के घर से पकड़े गए मशहूर फिल्ममेकर
अडानी ने 820 करोड़ में प्राइम एयरो का ट्रेनिंग सेंटर खरीदा, कांग्रेस ने कहा यह है उड़ान संकट की वजह
हैदराबाद में जन सम्मेलन, कार्यकर्ताओं ने ठाना ‘फासीवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे’
छत्तीसगढ़ पंजीयन कर्मियों का महाआंदोलन कल, OP चौधरी को खुली चेतावनी
स्मृति मंधाना ने आखिरकार पलाश मुछाल के साथ शादी तोड़ी, सोशल मीडिया पर दोनों ने किया पोस्ट
मौसम ने फिर ली करवट, दक्षिणी राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, शीतलहर ने बढ़ाई परेशानी
इंडिगो की आज भी 350 से ज्यादा उड़ानें रद्द, DGCA ने लगाई सख्ती, CEO पर हो सकती है कार्रवाई
गोवा के एक नाइट क्लब में आग लगने से कम से कम 25 लोगों की मौत
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
लेंस संपादकीय

डीजीपी सम्मेलनः जन आंदोलनों पर नजर

Editorial Board
Editorial Board
Published: December 1, 2025 8:00 PM
Last updated: November 30, 2025 8:49 PM
Share
DG-IG Conference
SHARE

राज्यों के पुलिस प्रमुखों के महत्त्वपूर्ण 60 वें सम्मेलन के लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से बेहतर संभवतः कोई और जगह नहीं हो सकती थी, जब नक्सलवाद या माओवाद दम तोड़ता दिख रहा है। इसका रणनीतिक महत्व भी है और राजनीतिक निहितार्थ भी।

28 नवंबर से 30 नवंबर के बीच हुए इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सहित सुरक्षा एजेंसियों और राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने हिस्सा लिया और देश के सुरक्षा माहौल पर न केवल सघन चर्चा की है, बल्कि देश में भविष्य के सुरक्षा परिदृश्य का रोडमैप भी तैयार कर लिया लगता है।

मोदी सरकार का खासा जोर आजादी के शताब्दी वर्ष यानी 2047 और राष्ट्रीय सुरक्षा पर है। इस सम्मेलन में भी इसी पर जोर था। सरकार 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाना चाहती है, लेकिन जिस तरह की सामाजिक-आर्थिक विसंगतियां आज भी मौजूद हैं, उस पर चर्चा अलग से की जा सकती है।

लेकिन सरकार पुलिसिंग को लेकर जिस तरह से आगे बढ़ना चाहती है, उसे लेकर कुछ सवाल भी उठते हैं। बेशक, पुलिस व्यवस्था के सामने साइबर और एआई जनित नए तरह के अपराधों से निपटने की चुनौतियां हैं, उस पर गंभीर बात होनी ही चाहिए। इसी तरह से नए तरह के आर्थिक अपराध भी चुनौती हैं, जिनसे संगठित और एकीकृत तरीके से निपटने की व्यवस्था की जरूरत है। इस सम्मेलन में उभरती चुनौतियों पर खासी चर्चा हुई है, जो स्वाभाविक ही है।

दरअसल इस सम्मेलन की कार्यसूची में एक विषय ने ध्यान खींचा है और परेशान भी कर दिया है। यह विषय है, जन आंदोलनों को रोकने के लिए इकोसिस्टम एप्रोच की जरूरत! सम्मेलन में जन आंदोलनों से निपटने के लिए इंटीग्रेटेड सिस्टम की जरूरत पर जोर दिया गया है।

जन आंदोलनों को लेकर मौजूदा सरकार का रवैया किसी से छिपा नहीं है, बावजूद इसके कि खुद प्रधानमंत्री मोदी और उनके अनेक सहयोगी जेपी के नेतृत्व में हुए जनांदोलन से जुड़े थे। इसके उलट तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर हो रहे किसान आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आंदोलनकारियों को आंदोलन जीवी कहकर मजाक उड़ाया था।

जन आंदोलन इस देश की लोकतांत्रिक ताकत हैं और इनके दम पर आजादी के बाद पिछले आठ दशकों में देश के नागरिकों ने अपने हक की वाजिब लड़ाइयां जीती हैं। वास्तव में वंचितों और उपेक्षित तबकों के पास यही एक तरीका है, जिसके जरिये वे अपने साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।

लोकतंत्र में जन आंदोलनों से निपटने का सबसे कारगर हथियार संवाद हो सकता है, पुलिसिया नजरिया नहीं। दुनिया भर में जन आंदोलनों ने सरकारों को जनहित के फैसले लेने के लिए विवश किया है। गांधी के देश भारत में जन आंदोलनों का महत्व बताने की वैसे भी जरूरत नहीं है।

TAGGED:ChhaattisgarhDGP conferenceEditorialRaipur
Previous Article SIR SIR पर हंगामे और बिहार विजय के गर्व के साथ संसद का शीतकालीन सत्र शुरू
Next Article New land rates जमीन की नई दरों का विरोध कर रहे कारोबारियों पर पुलिस ने बरसाईं लाठियां
Lens poster

Popular Posts

उन्हें मौत नहीं, नींद चाहिए थी!

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित दल्ली-राजहरा खदान क्षेत्र में काम करने आए झारखंड के…

By Editorial Board

रचनात्मक विनाश क्‍यों है जरूरी? इस शोध पर तीन नोबल

लेंस डेस्‍क। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 2025 के लिए अर्थशास्त्र के क्षेत्र में…

By अरुण पांडेय

गजा में इस्राइल का ताजा हमलाः संघर्ष विराम के नाम पर छलावा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर तीन हफ्ते पहले इस्राइल और हमास के बीच…

By Editorial Board

You Might Also Like

Mohan Bhagwat
लेंस संपादकीय

संघ प्रमुख की इस मासूमियत का क्या करें

By Editorial Board
Emergency in India
लेंस संपादकीय

पचास साल बाद

By Editorial Board
Rahul Gandhi
लेंस संपादकीय

कांग्रेस का अस्तबल

By Editorial Board
लेंस संपादकीय

मुठभेड़ और न्यायेतर हत्या

By The Lens Desk

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?