रायपुर। डीकेएस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में पहले से संचालित नेफ्रोलॉजी विभाग के समानांतर पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर में मेडिसिन विभाग के अंतर्गत नया नेफ्रोलॉजी यूनिट शुरू कर दिया गया है। इस यूनिट को शुरू किए जाने को लेकर अब गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। इस नए यूनिट की जिम्मेदारी नेफ्रोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. पुनीत गुप्ता को दी गई है।
मेडिकल कॉलेज की तरफ से जारी दस्तावेजों और बैठकों में लिए गए निर्णयों से यह साफ है कि बिना शासन स्वीकृति, अधोसंरचना और अनुमोदित पदों के ही मेडिकल कॉलेज में विभाग सक्रिय किया जा रहा है।

एक तरफ शासन के आदेश में प्राध्यापक नेफ्रोलॉजी के तौर पर एडिशनल डीएमई से हटाए गए डॉ. पुनीत गुप्ता को अस्थायी रूप से मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक दायित्व दिए जाने का उल्लेख है, पर कहीं भी स्वतंत्र नेफ्रोलॉजी विभाग के गठन की अनुमति का उल्लेख नहीं है।
दूसरी तरफ कॉलेज की ओर से जारी एक अन्य पत्र में मेडिसिन विभाग में तैनात RMO को वापस बुलाने और नेफ्रोलॉजी यूनिट संचालन के लिए 22 नवंबर से व्यवस्थाएं शुरू करने की बात कही गई है।

मेडिकल कॉलेज में इस संबंध में बैठक आयोजित कर गई निर्णय लिए गए हैं। बैठक की मिनट्स के अनुसार मेडिकल कॉलेज की बैठक में नए नेफ्रोलॉजी यूनिट के लिए वार्ड, उपकरण, डायलिसिस मशीन, तकनीशियन और जूनियर डॉक्टरों के आवंटन/मांग से संबंधित कई निर्णय लिए गए।

डीकेएस में पहले से विभाग, फिर समानांतर व्यवस्था क्यों?
डीकेएस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में वर्षों से सुचारू रूप से संचालित नेफ्रोलॉजी विभाग है, जहां डायलिसिस, आपात सेवाएँ और सुपरस्पेशियलिटी उपचार पहले से उपलब्ध हैं।
ऐसे में मेडिकल कॉलेज में समानांतर विभाग बनाने की आवश्यकता पर स्वयं मेडिकल फ्रैटर्निटी के भीतर सवाल उठ रहे हैं कि क्या मेडिकल कॉलेज में यह विभाग वैध स्वीकृति के बिना संचालित किया जा रहा है? क्या यह कदम डीकेएस के मौजूदा विभाग को कमजोर करने वाला साबित होगा? क्या राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव में यह प्रक्रिया आगे बढ़ रही है?
कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ ने भी उठाए सवाल
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने प्रेस बयान में इस पूरी प्रक्रिया को ‘आपत्तिजनक’ और ‘संदिग्ध’ बताते हुए कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजी प्राध्यापक का पद स्वीकृत ही नहीं है। डायलिसिस मशीन, प्रशिक्षित तकनीशियन और आवश्यक उपकरण उपलब्ध नहीं। बिना शासन अनुमति विभाग खोलना स्थापित व्यवस्था से छेड़छाड़ है।
डॉ. गुप्ता ने आरोप लगाए कि यह कदम किसी विशेष व्यक्ति या हित समूह को लाभ पहुंचाने के लिए उठाया गया प्रतीत होता है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, इस तरह की समानांतर व्यवस्था से डीकेएस के नेफ्रोलॉजी विभाग का अस्तित्व और संसाधन दोनों प्रभावित होंगे।
डॉ. जहां मेडिकल कॉलेज प्रशासन अपनी बैठकों और आंतरिक आदेशों के आधार पर विभाग को सक्रिय करने में जुटा है, वहीं शासन स्तर पर विभाग गठन को लेकर स्पष्ट स्वीकृति नहीं है। इस फैसले से स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल कॉलेज प्रशासन और डीकेएस प्रबंधन के बीच संभावित टकराव की आशंका बढ़ी है।
कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ ने सरकार से मांग की है कि मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजी विभाग की समानांतर व्यवस्था तुरंत रोकी जाए और स्पष्ट शासन स्वीकृति, संसाधनों और पदों के बिना आगे कोई कार्रवाई न की जाए।
यह भी पढ़ें : रावतपुरा मेडिकल कॉलेज घूसकांड में CBI के बाद ED की एंट्री, 10 राज्यों के 16 ठिकानों पर छापा, इसमें 7 मेडिकल कॉलेज भी

