नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और अन्य राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों को “C” रेटिंग दी है जो ग्रेडिंग के मामले में दूसरा सबसे निचला स्तर है। यह रेटिंग तब आई है जब सरकार आज दूसरी तिमाही का जीडीपी डेटा जारी कर सकती है।
आईएमएफ ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद और सकल मूल्य वर्धन (GVA) जैसे प्रमुख आंकड़ों की खराब रेटिंग कुछ पद्धतिगत कमजोरियों का परिणाम है, जिसके कारण मॉनिटरिंग में बाधा आती है।
आईएमएफ ने भारत की आर्थिक व्यवस्था की अपनी वार्षिक अनुच्छेद IV समीक्षा में कहा कि देश नियमित रूप से और पर्याप्त विवरण के साथ राष्ट्रीय लेखा आंकड़े प्रकाशित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है, “राष्ट्रीय लेखा आंकड़े पर्याप्त आवृत्ति और समयबद्धता के साथ उपलब्ध होते हैं और व्यापक रूप से पर्याप्त विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।”
हालांकि, एजेंसी ने कार्यप्रणाली में कुछ कमियों की ओर इशारा किया है जो अर्थव्यवस्था का पूर्ण मूल्यांकन करने की उसकी क्षमता को प्रभावित करती हैं।
एजेंसी ने आगे कहा कि कुछ कार्यप्रणालीगत कमज़ोरियां जरूर हैं जो मॉनेटरिंग को कुछ हद तक बाधित करती हैं और जिसकी वजह से भारत के लिए समग्र क्षेत्रीय रेटिंग को ‘सी’ ग्रेड देना पड़ा है।

