नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था ने जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। यह वृद्धि पिछले वित्तीय वर्ष की समान तिमाही में प्राप्त 5.6 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है। यह आंकड़े ठीक उसके बाद आए हैं जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने जीडीपी को सी ग्रेड दिया है। जिसका मतलब होता है ग्रेडिंग के मामले में दूसरा सबसे निचला स्तर।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह छह तिमाहियों में सबसे तेज विकास दर है। इस उल्लेखनीय वृद्धि का एक प्रमुख कारण जीएसटी दरों में कमी के परिणामस्वरूप बढ़ती उपभोक्ता मांग को देखते हुए कारखानों द्वारा उत्पादन में वृद्धि करना रहा है।
इस तिमाही में जीडीपी की वृद्धि पिछले तिमाही के 7.8 प्रतिशत और एक वर्ष पूर्व की समान अवधि के 5.6 प्रतिशत से बेहतर रही। विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा है, ने इस दौरान 9.1 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की। यह वृद्धि पिछले वित्तीय वर्ष की समान तिमाही के 2.2 प्रतिशत के मुकाबले काफी अधिक है।
वहीं, वित्तीय वर्ष के प्रथम सात महीनों (अप्रैल से अक्तूबर) के दौरान राजकोषीय घाटा 8.25 लाख करोड़ रुपये रहा, जो निर्धारित वार्षिक लक्ष्य का 52.6 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष के समान अवधि के 46.5 प्रतिशत से अधिक है। सरकार का उद्देश्य इस वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.4 प्रतिशत तक सीमित करना है, जो पिछले वर्ष के 4.8 प्रतिशत से कम है।
सरकार ने यह भी सूचित किया है कि अक्टूबर 2025 के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े एक दिसंबर को जारी किए जाएंगे। अखिल भारतीय औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़े सामान्यतः प्रत्येक माह की 28 तारीख को या यदि वह तारीख अवकाश के कारण हो तो अगले कार्य दिवस पर प्रकाशित किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ताजा जीडीपी आंकड़ों पर एक्स पोस्ट में कहा कि 2025-26 की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि बहुत उत्साहजनक है। यह हमारी विकासोन्मुखी नीतियों और सुधारों के प्रभाव को दर्शाता है। यह हमारे लोगों की कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता को भी दर्शाता है। हमारी सरकार सुधारों को आगे बढ़ाती रहेगी और प्रत्येक नागरिक के लिए जीवन को आसान बनाती रहेगी।

