VEERENDRA PANDEY: कभी बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व विधायक वीरेंद्र पांडेय ने फेसबुक में पोस्ट कर बताया कि वे क्यों राज्योत्सव में शामिल नहीं हुए, इसके पहले राज्योत्सव के 1 दिन पूर्व भी उन्होंने पोस्ट किया था कि वे राज्योत्सव में शामिल नहीं होंगे। अपनी इस पोस्ट में उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि ‘मोदी कतई लोकतांत्रिक नहीं है।’ बता दें कि 1 नवम्बर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 25वीं स्थापना दिवस में रजत महोत्सव मनाया गया जिसमें प्रधानमंत्री शामिल हुए थे और कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था।
क्या कहा उन्होंने पढ़िए –
‘लोकार्पण समारोह में नहीं जाऊँगा- विधानसभाध्यक्ष श्री रमनसिंह की ओर से नया रायपुर में निर्मित नवीन विधानसभा भवन का लोकार्पण श्रीमान नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने का आमंत्रण प्राप्त हुआ है।आमंत्रण के लिए धन्यवाद वआभार।मुझे दो आमंत्रण पत्र मिले हैं।एक पूर्व विधायकऔर एक लोकतंत्र सेनानी के नाते।साथ में गले में लटकाने वाला पहचान-पत्र और कार पास भी है।पत्र में पीछे अनेक निर्देश हैं।कार्यक्रम शुरू होने के एक घंटे पहले आवें।लाठी,चाकू,पिस्तौल आदि न लावें।अनुमति दिए गए स्थान के अतिरिक्त कहीं आना-जाना वर्जित है।फोटो नहीं खींच सकते।तलाशी देनी होगी आदि।विधानसभा लोकतंत्र कामंदिरहै सदन का मन से आदर होना चाहिए।लोकतंत्र लोक लिहाज से चल ता है।असहमति का सम्मान,लोकतंत्र का प्राण है।लोकतंत्र के पवित्र मंदिर का लोकार्पण श्रीमान मोदी द्वारा किया जा रहा है वे कतई लोकतंत्रिक नहीं है।उनका झूठ सुनने और अपमान जनक निर्देश के कारण मैं समारोह में नहीं जाऊँगा।’

राज्योत्सव के बाद का पोस्ट-
‘लोकार्पण हुआ,मैं नहीं गया:- मैं नहीं गया।पर मुझे ऐसी कोई गलतफहमी नहीं है कि मैं जाता तो समारोह में चार चाँद लग जाते या नहीं जाने पर कार्यक्रम की शोभा घट गई।मैं यह भी जानता हूँ कि मेरे जाने नहीं जाने का कोई नोटिस नहीं लेगा।पर इस बात का संतोष जरूर है कि जनता के धन के अश्लीलअपव्यय का न मैं साक्षी हूँ न भागीदार।न जाकर मैं उन किसानों के मुआवजे के संघर्ष में अपनी सहभागिता प्रकट कर रहा हूँ जिनकी जमीन पर यह भवन बना है।पिछले बीस बरस में तीन मुख्यमंत्री की सरकारें रहीं,सभी ने किसानों को धोखा दिया छल किया।नियम यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण में चार गुनाऔर शहरी क्षेत्र
में दो गुना मुआवजा दिया जाएगा।रमनसिंह कीसरकार ने गाँव को शहर घोषित कर किसानों से छल किया।बीस बरस से क्षेत्र के किसान उचित मुआवजे के लिए लड़ रहे हैं।कर्ज मेंगले तक डूबे सूबे में इतने बड़े भव्य और महंगे भवन और अनुपातहीन खर्चीले लोकार्पण समारोह की क्या जरूरत थी?क्या भवन और समारोह सादा नहीं होना चाहिए? क्रमश:———-‘


