Kerala news: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शुक्रवार 31 अक्टूबर को विधानसभा के विशेष सत्र में एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि केरल अब भारत का ऐसा पहला राज्य है जहां अत्यधिक गरीबी का नामोनिशान मिट चुका है। यह खबर राज्य के गठन दिवस ‘केरल पिरवी’ के मौके पर आई जो नए दौर की शुरुआत का प्रतीक बनी लेकिन विपक्ष ने इसका बहिष्कार किया। कांग्रेस-नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने सत्र का बहिष्कार कर दिया। विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने इसे ‘पूर्ण धोखाधड़ी’ बताते हुए सदन से नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गए।
उपलब्धि का सफर
मुख्यमंत्री विजयन ने बताया कि 2021 में सत्ता संभालते ही सरकार ने ‘अत्यधिक गरीबी उन्मूलन योजना’ (ईपीएपी) शुरू की। इसके तहत राज्यभर में 64,006 कमजोर परिवारों की पहचान की गई। चार सालों की मेहनत से इन परिवारों को गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर निकाला गया। सरकार ने इसके लिए 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए। योजना में भोजन, स्वास्थ्य, आवास, दस्तावेज और नौकरी जैसे बुनियादी जरूरतों पर फोकस किया गया।
भोजन की गारंटी: 20,000 से ज्यादा परिवारों को रोजाना गर्म भोजन पहुंचाया गया।
स्वास्थ्य मदद: 85,000 से अधिक लोगों को मुफ्त इलाज और दवाइयां दीं।
घर और जमीन: 5,400 नए घर बनवाए या बन रहे हैं, 5,500 पुराने घरों की मरम्मत हुई, और 2,700 भूमिहीन परिवारों को जमीन दी गई।
दस्तावेज: 21,000 लोगों को पहली बार राशन कार्ड, आधार और पेंशन जैसे जरूरी कागजात मिले।
रोजगार के मौके: 4,000 से ज्यादा परिवारों को छोटे-छोटे आजीविका प्रोजेक्ट्स के लिए आर्थिक सहायता दी गई।
मुख्यमंत्री ने कहा ‘यह चुनावी वादे को पूरा करने का सबूत है। हमने वही किया जो कहा था।’ योजना की सफलता के पीछे स्थानीय समितियां, ग्राम सभाएं और मोबाइल ऐप्स का बड़ा हाथ रहा। राज्य के 14 जिलों में 1,300 सर्वे टीमों ने 1 लाख से ज्यादा लोगों की जांच की। ज्यादातर (81%) ग्रामीण इलाकों से थे जिनमें बुजुर्ग, अकेले रहने वाले और बीमार लोग शामिल थे।
विपक्ष का तीखा विरोध
सत्र शुरू होते ही यूडीएफ विधायकों ने हंगामा मचा दिया। सतीशन ने नियम 300 के तहत मुख्यमंत्री के बयान को ‘सदन के नियमों का उल्लंघन’ बताया। उन्होंने कहा, “यह जनता के साथ धोखा है। हम इसमें हिस्सा नहीं लेंगे।” जवाब में विजयन ने पलटवार किया, “जब विपक्ष धोखा कहता है, तो शायद अपनी पुरानी करतूतों की याद आ रही होगी। हम सिर्फ वादे ही नहीं करते, उन्हें अमल में भी लाते हैं।”
विश्व बैंक के मुताबिक, अत्यधिक गरीबी का मतलब है रोजाना 3 डॉलर (करीब 257 रुपये) से कम कमाई। जून 2025 की रिपोर्ट कहती है कि भारत ने पिछले 11 सालों में 26.9 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। 2011-12 में दर 27.1% थी, जो 2022-23 तक गिरकर 5.3% रह गई। ग्रामीण इलाकों में यह 18.4% से घटकर 2.8% और शहरों में 10.7% से 1.1% हो गई।
केरल ने गरीबी को सिर्फ पैसे से नहीं बल्कि ‘मानवीय गरिमा’ के पैमाने से मापा। 73,000 छोटी योजनाओं (माइक्रो प्लान्स) के जरिए हर परिवार की अलग जरूरत पूरी की गई। कोट्टायम जिले से शुरू हुई यह मुहिम अब पूरे राज्य में फैल चुकी है।
केरल की पुरानी कामयाबियां
केरल पहले भी कई रिकॉर्ड बना चुका है जैसे 100% साक्षरता, डिजिटल साक्षरता और पूर्ण विद्युतीकरण। अब अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य बनकर यह फिर से मिसाल कायम कर रहा है। सरकार ने सतत निगरानी का प्लान बनाया है ताकि कोई परिवार फिर गरीबी में न फंसे। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह ‘नया केरल’ की दिशा में बड़ा कदम है। सामाजिक न्याय और समानता अब हमारा लक्ष्य है।”यह घोषणा अब दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा है।

