रायपुर। महिलाओं की शिकायतों को सुनकर न्याय दिलाने का काम करने वाला छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग (Chhattisgarh Rajya Mahila Aayog) खुद अंदरूनी झगड़ों से घिरा हुआ है। आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के निजी सहायक अभय सिंह ने तीन सदस्यों लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका शोरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक लिखित शिकायत पत्र सौंपा है।
अभय का दावा है कि सदस्य उन्हें बदनाम करने के लिए झूठी कहानियां गढ़ रही हैं, जिससे आयोग का काम प्रभावित हो रहा है। गौरतलब है की 3 दिन पहले आयोग की अन्य सदस्य पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अध्यक्ष पर अनियमितताओं के आरोप लगा चुकी हैं।
अभय सिंह, जो पिछले तीन साल से अध्यक्ष के निजी सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं, उन्होंने पत्र में सदस्यों पर दुर्भावना से भरा हमला बोला है। उनका कहना है कि सदस्य उन्हें ‘दो कौड़ी का आदमी’ कहकर अपमानित करती हैं और अध्यक्ष के खिलाफ काम करने का दबाव डालती हैं। अगर इंकार किया तो झूठे केस बनाकर फंसाने की धमकी देती हैं।
बता दें कि बेमेतरा जिले के नरी गांव की दो महिलाओं से 25 हजार रुपये लेने का इल्जाम लगाया गया है। हालांकि इस पर अभय कहते हैं कि कोई शिकायत ही दर्ज नहीं हुई। सदस्य लक्ष्मी वर्मा ने फर्जी दस्तावेज बनवाकर रचा षड्यंत्र है। आवेदन का रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं है।
फर्जी आरटीआई का खेल
पूर्व कर्मचारी राघवेंद्र साहू ने सदस्यों के कहने पर महिलाओं के नकली हस्ताक्षर कर सूचना का अधिकार (आरटीआई) दाखिल किया। इससे अध्यक्ष को बदनाम करने की कोशिश हुई। जांच के बाद साहू को नौकरी से निकाल दिया गया, लेकिन सदस्य अब भी उसे बचाने की कोशिश कर रही हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि अभय आयोग में ‘दादागिरी’ करता है और सुनवाई अपने हिसाब से करवाता है। अभय का कहना है कि वे ईमानदारी से काम करते हैं और भाजपा से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई होने पर सदस्य नाराज हो जाती हैं।
अभय ने पत्र में आयोग के कई कर्मचारियों का भी जिक्र किया। उनका दावा है कि सदस्य कर्मचारियों को धमकाती हैं, ‘हमारी सरकार है, हमारे हिसाब से काम करो वरना नक्सल क्षेत्र भेज देंगे।’ पूर्व सचिव मनोज कुमार सिन्हा के साथ भी अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया।
सदस्यों का पक्ष: पहले से चल रहा विवाद
यह पहली बार नहीं है जब आयोग में टकराव सामने आया। सदस्यों ने हाल ही में अध्यक्ष पर अकेले फैसले लेने, सरकारी खर्च छिपाने और बाहरी लोगों के हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में लक्ष्मी वर्मा ने कहा, ‘आयोग का काम निष्पक्ष होना चाहिए, लेकिन यहां नियम तोड़े जा रहे हैं।’ सरला कोसरिया और दीपिका शोरी ने भी राज्यपाल को शिकायत की है।
अब अभय के आरोपों से यह साफ होता है कि विवाद राजनीतिक रंग ले चुका है। आयोग की पृष्ठभूमि में कांग्रेस सरकार की नियुक्ति (2020) और भाजपा सरकार का आना (2023) है। अध्यक्ष का कार्यकाल कोर्ट स्टे से सुरक्षित है जबकि सदस्य भाजपा सरकार ने 2024 में नियुक्त किए।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा समर्थित केसों में कार्रवाई से सदस्य असहज हैं।
इस लड़ाई से आयोग का काम प्रभावित हो रहा है। यह झगड़ा आयोग की जनसुनवाई को रोक रहा है। कोरबा चिटफंड घोटाले, नारायणपुर भूमि हड़पने के केस और बालोद-रायगढ़ की शिकायतों में कथित पक्षपात के उदाहरण अभय ने दिए। नारायणपुर की तीन आदिवासी युवतियों ने सदस्यों पर ही धमकी देने का आरोप लगाया है। अगर यह जारी रहा, तो हजारों महिलाओं का न्याय लटक सकता है।
अध्यक्ष डॉ. नायक का कहना है कि जांच के बाद ही वे आधिकारिक बयान देंगी। अभय ने निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आए। यह मामला राज्यपाल और सचिव के पास पहुंच चुका है। अगर जांच हुई तो आयोग में बड़ा बदलाव हो सकता है।

